-प्रकृति
-ये संसार प्रकृति के नियमो से चलता है ।
-प्रकृति के नियम अटल हैं ।
-जो व्यक्ति प्रकृति के नियम अनुसार चलता हैं उस का विकास होता है ।
-वे वही नियम हैं , जो संसार के आरम्भ होने के साथ से ही संचालन करते आये हैं । अब भी कार्यरत हैं । हम नही होंगे तो भी यह काम करते रहेंगे । इनमें कुछ मूलभूत सिद्वांत शामिल हैं ।
1. हमेशा दूसरों को उनका मन चाह पाने में सहायक रहो । इस से तुम्हे भी अपना मन चाहा मिल जायेगा ।
2. एक दयालु व्यक्ति बनो ।
3.अपने हर कार्य में श्रेष्टठता का प्रदर्शन करे । दिल से करें ।
4.वर्तमान क्षण में जियो ।
5.अपने प्रति सच्चे रहो ।
6. साहस के साथ सपने देखो ।
7 मूल नियम है शान्ति, प्रेम, सुख, आनंद एवं ज्ञान ।
-लोग इन नियमों के बारे जानते है परंतु इन के अनुसार जी नही पाते ।
-यदि हम इन नियमों अनुसार चले तो मनचाहे अच्छे लक्ष्य पा सकते हैं ।
-जिन लोगो ने कष्ट व पीड़ा का अनुभव किया है, क्या उन्होने इन नियमों का उलंघन किया है ।
-जब जब मनुष्य प्रकृति के नियमो का उलंघन करता है तब जीवन मेंं कष्ट आते हैं ।
-कोरोना और कुछ नहीं प्रकृति के नियमो का उलंघन हैं ।
-मनुष्य के संकल्प प्रकृति को प्रभावित करते हैं ।
-जब मनुष्य मन से परेशान होता, हृदय कठोर हो जाता हैं, शोषण बढ जाता हैं , मानव निर्दयी बन जाता हैं, प्यार खत्म हो जाता हैं, तब प्रकृति कोरोना जैसी महामारी लाती है ।
- कोरोना जैसी पीड़ादायी घटनाये जीवन में हमे वे सबक सिखाने आती है जो कि उस समय हमारे लिये आवश्यक होते हैं ।
ऐसी महामारियां हमे गहराई से आरोग्य प्रदान करने तथा अधिक दार्शनिक बनाने के लिये आती हैं । इन से कोई नही बच सकता क्योंकि कोई भी सम्पन्न नही है । बेशक हम एक अच्छा, नेक व दयालु जीवन ही क्यों न जी रहे हो फ़िर भी असम्पूर्ण होने के नाते हमे बहुत से लैसन सीखने होंगे ।
-कोई भी घटना, कोई भी आपदा सयोंग नही होती, कोरोना जैसी हर परिस्थिति हमे एक छिपे वरदान के रुप में सबक देने आती है ।
-यह जीवन दो किनारों वाली नदी के समान है ।
- एक किनारे पर हम प्रसनता पायेंगे और दूसरे किनारे पर दुख होगा ।
- जब हम नदी के साथ आगे चलेंगे तो हमें दोनो किनारों से टकराने के बजाए बीच मेंं चलना होगा । ध्यान रखने वाली बात यह है कि नदी की विपरीत दिशा मेंं नहीं हमें नदी के बहाव की दिशा मेंं आगे बढ़ते रहना है ।
-दुखों से बचने के लिये हमें स्त्री और पुरुष रूपी किनारों से पर्याप्त सामाजिक नियमो अनुसार जरूरी शारीरिक दूरी बना कर रखनी हैं , परंतु दिल मे प्यार रखना है । अगर ऐसा नहीं करेंगें तो दुख की लहरे आप को नष्ट कर देगी ।
राजयोग का अभ्यास हमें सुखी बनाता है !