Islamik Sharnarthiyo Ke Aane Se Kya Hoga?

 केरल के समुद्र तट के राजा के पास अरबी व्यापारी आते हैं और अपने नए मजहब के लिए इबादत की जगह मांगते हैं ...…

और केरल का वह सामंत सहिष्णुता में मस्जिद बनवा देता है और इस्लाम की पहली मस्जिद भारत के केरल में बनती है और यह मक्का की जीत के चंद वर्षों के बाद ही बनी थी ...…

धीरे-धीरे मजहब जड़ पकड़ता है और मोपला यानि अरबी व्यापारी और जहाजी यहाँ की लड़कियों से शादी करके दामाद बनकर यहाँ बस जाते हैं ...…

और आज हाल यह बन चुके है कि इसी केरल से आईएसआईएस और अफगानिस्तान के लिए जिहाद करने के लिए लड़के और लड़कियाँ जाते है ...…

वह सामंत जो हिंदू ही रहा होगा वह पद्मनाभ स्वामी के राज में सेक्युलरिज्म में आकर इबादत की जगह देता है और आज उसकी ही जगह जिहाद और लव जिहाद की शरण स्थली है ...…

सोचिए रोहिंग्या बांग्लादेशी और इस्लामिक शरणार्थियों के आने से क्या होगा !?!?!?!?!?

अफगानिस्तान में उथल-पुथल भरे हालत के बीच भारत में कुछ लोग जिस तरह की तरफदारी कर रहे हैं वह न केवल दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है बल्कि चिंताजनक भी है जब सारी दुनिया तालिबान की आतंकी प्रवृत्तियों से आशंकित है तब यह समझना कठिन है कि भारत में कुछ लोग उसमें अच्छाई कैसे देख पा रहे हैं? आखिर सातवीं सदी के बर्बर तौर-तरीकों को अमल में लाने के इरादे जाहिर कर रहे तालिबान की कोई तरफदारी कैसे कर सकता है???

ऐसा काम तो वही कर सकता है जो अतिवाद और सभ्य समाज के लिए खतरा बनी मानसिकता से ग्रस्त हो समस्या केवल यह नहीं है कि भारत में कुछ लोग तालिबान में कुछ अच्छा देख रहे हैं बल्कि यह भी है कि कुछ लोगों की ओर से उसे बधाई भी दी जा रही है इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती तो चार कदम आगे बढ़ गईं ...…

उनने जिस तरह कश्मीर के हालात की तुलना अफगानिस्तान से की वह उनकी विकृत मानसिकता के साथ-साथ भारत विरोधी रवैये का भी परिचायक है यह वही महबूबा मुफ्ती है जिन्होंने अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद कहा था कि घाटी में कोई भारत का झंडा उठाने वाला नहीं रहेगा ...…

ऐसा लगता है कि कश्मीर के बदले हालात ने उनके मानसिक संतुलन को गड़बड़ा दिया है अन्यथा कोई भी सहज-सामान्य बुद्धि वाला व्यक्ति कश्मीर की तुलना अफगानिस्तान से नहीं कर सकता जो लोग भी ऐसा कर रहे है अथवा प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर तालिबान के प्रति हमदर्दी जता रहे है वे अपनी सड़ी-गली मानसिकता का परिचय तो दे ही रहे है ...…

भारत के करोड़ों मुसलमानों को असहज बनाने का भी काम कर रहे है यह उचित समय है कि सही सोच वाले लोग सामने आएं और उन सब तत्वों की कठोर स्वर में भर्त्सना करें जो तालिबान की तरफदारी में लगे हुए है ...…

भारत में इस या उस बहाने तालिबान की तारीफ करने में लगे लोगों को देखना चाहिए कि अफगानिस्तान किस तरह तबाही की ओर जा रहा है और वहां लोग किस तरह डरे हुए हैं आखिर भारत में तालिबान के दबे-छिपे समर्थकों को यह क्यों नहीं दिखाई देता कि किस तरह हजारों लोग अफगानिस्तान छोड़ने के लिए बेचैन हैं ...…

वे यह भी देखें कि तालिबान किस तरह चिकनी-चुपड़ी बातें कर रहा है लेकिन दो दशक से पूरे तौर-तरीके अपनाने में लगा हुआ है तालिबान की हरकतें यही बता रही है कि उसने अपनी उस मानसिकता का परित्याग नहीं किया है जो आज के युग में स्वीकार नहीं हो सकती !!!!!!!!!

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