Life Purpose of a Human Being in Hindi

 प्रेम और क्षमा 

-मनुष्य अपना जीवन दो लक्ष्यों  के पीछे लगा देता है । पहला है दुख से मुक्ति और दूसरा  है सुख की  प्राप्ति ।

-दुःख से मुक्ति के लिये क्षमा  मांगता  है,  पच्छाताप करता  है, दान करता है, गंगा  स्नान करता है, व्रत रखता  है । सत्संग करता है। साधना  करता है। परंतु दुख रुप बदल कर फ़िर फ़िर आ जाता  है ।

- मन मे सब के लिये मंगलमयी विचार  और अच्छे  कर्म सुख का सबसे आसान और बढिया तरीका है । जो भी व्यक्ति दिन  मे  मिले चाहे वह कैसा भी हो  सदा उसके प्रति सोचो  आप का कल्याण हो,कल्याण हो, कल्याण हो ।  इस शब्द को मन मे मंत्र की  तरह रिपीट करते रहो आप के सब दुख मिट जायेगे और सदा सुखी  रहेंगे ।

-आप ने देखा  होगा जब हम कोई अच्छा  काम करते  है, तो  सोचते  है, कोई तो मेरी तरीफ करे, मेरा लोहा माने या उत्साहित  तो करे । जब किसी की  मदद करते  हैं  तो हम  गर्व से कहते है, देखो मेरे कारण इसका कितना  भला  हुआ । 

-दयालु   मनुष्य गरीबो को अन्न, समान आदि का वितरण करता है, भंडारा, लंगर, धर्मशाला बनवाना तथा दान देने जैसे कर्म करता है । यही कर्म उसके लिये सोने की  जंजीर बन जाते  है । वह इनके मोह मे फँस जाता है और हर जगह अपना ही गुणगान सुनना चाहता है ।

- बूढे लोग अपनी यश गथाये गाते नहीं थकते परंतु उनकी  कोई सुनता  नहीं । हमे इस से भी पार जाना है ।

-जब मनुष्य को धर्मात्मा, पुण्य आत्मा जैसे सम्बोधन मिलते है तो उसका  अहंकार बढ़ जाता है । उसका  " मैं "  मोटा हो  जाता है और स्वयं को खुशी खुशी सोने की जंजीर पहना  देता है । वह भगवान को भूल जाता है और संस्था के भाई बहिनों की स्थूल सम्भाल  मे लग जाता है । अध्यात्म का प्रचार करने की बजाय स्कूल और हस्पताल खुलवाने के समाजिक  कामों मे लग जाता है ।

-यह मात्र भ्रम है । करन करावनहार  परमात्मा है,  यह सदा याद रखने से सोने की जंजीर भी टूट जाती है ।

- ,हमारे मन किसी के प्रति कोई नकारत्मक भाव है तो उस समय नकरतम्म लहरे निकलती रहती है और बदल  बन कर तैरती हैं और उस व्यक्ति के साथ साथ संसार को भी परेज़हां करती हैं ,! 

- जब हम सोचते है कि दूर   विश्व की फलानी  आत्माएं शांत  है तो मन से निकले विचार बादल  बन कर उनके  पास पहुचते 

 है और उन्हें शांति से  भरपूर करते हैं ! इस रास्ते मे जो भी लोग आते हैं वह भी  शांति महसूस  करते हैं !

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