Prem Aur Prashansa Me Kya Fark Hai?

 प्रेम और प्रशंसा 

- जीभ मे जीवन और  मृत्यु प्रदान करने की शक्ति होती है ।

-एक दुखी हृदय व्यक्ति को नीचे  गिराता  है, पर एक अच्छा  शब्द मनुष्य को ऊपर उठाता  है ।

-तरीफ के सीधे साधे  शब्दो  मैं  ढेर सारा प्रेम झलकता  है ।

-ये शब्द है 

-आप इस सूट  मे सुंदर दिखते हो ।

-तुम्हारे हाथ की सब्जी पसंद है ।

-बिजली का बिल भरने के  लिये आप का धन्यवाद । आदि आदि  ।

-प्रेम का मतलब सामने वाले  से अपना पसंदीदा काम करवाना नहीं है, बल्कि उसकी भलाई के लिये  कुछ काम करना है ।

-जब  हमे तरीफ मिलती है तो हम ज्यादा अच्छे  काम करने को तैयार हो जाते  है ।

-प्रशंसा एक वशीकरण मंत्र  है । सभी व्यक्ति अपनी प्रशंसा सुन कर खुश होते  है ।  

-जानवरों को सर्कस आदि मे काम करने के लिये, नये नये करतब सिखाते  समय, जब वह थोड़ा  सा  भी सही काम करते है, इन्हे पुचकारा  जाता  है, पीठ पर  हाथ फेरा  जाता  है, जिस से वह प्रेरित होते  है तथा  और अच्छे  ढंग से कार्य करते  है ।

-जब भी सामने वाला कोई अच्छा काम करे तो उसकी तरीफ  ज़रूर करे । कुछ अच्छे  शब्द ज़रूर कहें । इस से वह काम और ज्यादा अच्छे  ढंग से करेगा  तथा  आपके सम्बन्ध भी सुखद बनेंगे ।

-तानो  और उलाहनो  से ज्यादा   प्रेरणा   प्रशंसा  के शब्दो से मिलती है । 

-अपने जीवन साथी की इच्छा अनुसार काम करने को तैयार रहो । इस से आप को प्रशंसा मिलेगी ।

-हम सभी कभी ना कभी असुरक्षित  महसूस करते है । हम मे हिम्मत की कमी होती  है तथा  इस कमी के कारण हम कई अच्छे  काम करना  चाहते हुये भी नहीं कर पाते ।

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