Sanatan Dharam Ke 16 Sanskar

 सनातन धर्म के 16 संस्कारो के बारे में हमने सुना है आइये आज अच्छे से पढ़ते है व उनके  प्रयोजन भी समझते है।

🔶१:- गर्भाधान संस्कार     

युवा स्त्री-पुरुष उत्तम् सन्तान की प्राप्ति के लिये विशेष तत्परता से प्रसन्नतापूर्वक गर्भाधान करे।

🔶२:- पुंसवन संस्कार  

 जब गर्भ की स्थिति का ज्ञान हो जाए, तब दुसरे या तीसरे महिने में गर्भ की रक्षा के लिए स्त्री व पुरुष प्रतिज्ञा लेते है कि हम आज ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिससे गर्भ गिरने का भय हो।

🔶३:- सीमन्तोन्नयन संस्कार

   यह संस्कार गर्भ के चौथे मास में  बच्चे की मानसिक शक्तियों की वृद्धि के लिए किया जाता है इसमें ऐसे साधन प्रस्तुत किये जाते है जिससे स्त्री प्रशन्न रहें।

🔶४ :- जातकर्म संस्कार

यह संस्कार बालक के जन्म लेने पर होता है। इसमें पिता या वृद्ध सोने की सलाई द्वारा घी या शहद से जिह्वा पर ओ३म् लिखते हैं और कान में 'वेदोऽसि' कहते है।

🔶५:- नामकरण संस्कार

 जन्म से ग्यारहवें या एक सौ एक या दुसरे वर्ष के आरम्भ में बालक का नाम प्रिय व सार्थक रखा जाता है। 

🔶६:-  निष्क्रमण संस्कार

यह संस्कार जन्म के चौथे महिने में उसी तिथि पर जिसमें बालक का जन्म हुआ हो किया जाता है। इसका उद्देश्य बालक को शुद्ध उ द्यान की शुद्ध वायु का सेवन और सृष्टि के अवलोकन का प्रथम शिक्षण है।

🔶७:- अन्नप्राशन संस्कार

 छठे व आठवें महिने में जब बालक की शक्ति अन्न पचाने की हो जाए तो यह संस्कार होता है। 

🔶८ :- चूडाकर्म- मुंडन संस्कार

  पहले या तीसरे वर्ष में बालक के बाल कटाने के लिये किया जाता है। 

🔶९ :- कर्णवेध संस्कार  

 कई रोगों को दूर करने के लिए बालक के कान बींधे जाते है। 

🔶१० :- उपनयन संस्कार

 जन्म से आठवें वर्ष में इस संस्कार द्वारा लडके व लड़की को यज्ञोपवीत  ( जनेऊ) पहनाया जाता है। 

🔶११ :- वेदारम्भ संस्कार

उपनयन संस्कार के दिन या एक वर्ष के अन्दर ही गुरूकुल में वेदों का आरम्भ गायत्री मंत्र से किया जाता है। 

🔶१२ :- समावर्तन संस्कार

 जब ब्रह्मचारी व्रत की समाप्ति कर वेद- शास्त्रों के पढ़ने के पश्चात गुरूकुल से घर आता है तब यह संस्कार होता है। 

🔶१३ :- विवाह संस्कार  

विद्या प्राप्ति के पश्चात् जब लड़का,लड़की भली भांति पूर्ण योग्य बनकर घर जाते है तब विवाह दोनों का गुण,कर्म स्वभाव देखकर किया जाता है। 

🔶१४ :- वानप्रस्थ संस्कार

 इसका समय  ५० वर्ष के उपरान्त है जब घर में पुत्र का पुत्र हो जाए, तब गृहस्थ के धन्धे में फंसे रहना अधर्म है । उस समय यह संस्कार होता है। 

🔶१५ :- सन्यास संस्कार

 वानप्रस्थी वन में रह कर जब सब इन्द्रियों को जीत ले, किसी में मोह व शोक न रहें तब केवल संस्कार हेतू संन्यास आश्रम में प्रवेश किया जाता है। 

🔶१६ :- अन्त्येष्टि संस्कार 

मनुष्य शरीर का यह अन्तिम संस्कार है जो मृत्यु के पश्चात् शरीर को जलाकर किया जाता है। 

Post a Comment

Previous Post Next Post