भारत-अमेरिका का तालिबान की धरती के बारे में क्या कहना है?

 भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच हुई बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान भारत की उम्मीदों के अनुरूप ही है इस बातचीत में अनेक मुद्दों के साथ अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, कोविड महामारी और आतंकवाद पर भी चर्चा हुई आतंकवाद पर चर्चा के दौरान अफगानिस्तान का जिक्र होना ही था ...…

भारत-अमेरिका का तालिबान की धरती के बारे में क्या कहना है?


इस दौरान दोनों देशों ने जिस तरह तालिबान को इसके लिए आगाह किया कि अफगानी क्षेत्र का इस्तेमाल किसी देश को धमकाने और आतंकियों को प्रशिक्षण या शरण देने के लिए नहीं होना चाहिए उससे यही पता चलता है कि अफगानिस्तान के हालात भारत एवं अमेरिका के साथ पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गए हैं उम्मीद है कि इस बातचीत में भारतीय नेतृत्व अमेरिकी राष्ट्रपति को यह समझाने में सफल रहा होगा कि तालिबान को नियंत्रित करने और उसे सही राह पर लाने में सफलता तब मिलेगी जब पाकिस्तान को काबू में किया जाएगा ....

हालांकि अमेरिकी प्रशासन अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका को समझने के साथ यह जान रहा है कि उसने तालिबान की हर संभव तरीके से सहायता की है लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या वह इस्लामाबाद के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करेगा? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि अमेरिका पहले भी कह चुका है कि पाकिस्तान आतंकी समूहों पर लगाम लगाए और 26/11 हमले की साजिश रचने वालों को दंडित करे ...…

अमेरिका को यह समझना होगा कि उसके ढुलमुल रवैये के कारण ही पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देने में लगा हुआ है उसे यह भी देखना होगा कि पाकिस्तान और चीन किस तरह अपने स्वार्थों के लिए तालिबान की पैरवी करने में लगे हुए है यदि अमेरिका ने पाकिस्तान पर समय रहते अंकुश लगाया होता तो तालिबान अफगानिस्तान में इतनी आसानी से काबिज नहीं हुए होते और उस समझौते की धज्जियां भी नहीं उड़ी होतीं जो अमेरिका और तालिबान के बीच हुआ था ...…

कम से कम अब तो अमेरिका को संदेह नहीं होना चाहिए कि पाकिस्तान आतंकवाद का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में कर रहा है जैसा कि भारतीय प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से कहा इसी मंच से उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को भी रेखांकित किया यह ठीक है कि अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के दावे के प्रति अपना समर्थन दोहराया लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि उसकी ओर से इस दिशा में जैसी पहल की जानी चाहिए वह होती नहीं दिखती 

'आतंकवाद के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए': भारत, अमेरिका ने तालिबान को प्रतिबद्धताओं की याद दिलाई

भारत और अमेरिका ने तालिबान से मानवाधिकारों, महिलाओं के मुद्दों, अल्पसंख्यकों पर अपनी प्रतिबद्धताओं को निभाने और अफगानिस्तान की धरती को आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं करने देने का आह्वान किया है।

शुक्रवार को वाशिंगटन में मोदी-बिडेन द्विपक्षीय वार्ता के बाद एक संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व को रेखांकित किया।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन ने संकल्प लिया कि तालिबान को यूएनएससी के प्रस्ताव 2593 (2021) का पालन करना चाहिए, जो मांग करता है कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल फिर कभी किसी देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को शरण देने या प्रशिक्षित करने के लिए या आतंकवादी की योजना या वित्त के लिए नहीं किया जाना चाहिए। हमलों, और अफगानिस्तान में आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व को रेखांकित किया।

बयान में कहा गया है कि उन्होंने तालिबान से संयुक्त राष्ट्र, उसकी विशेष एजेंसियों और कार्यान्वयन भागीदारों, और मानवीय राहत गतिविधियों में लगे सभी मानवीय अभिनेताओं के लिए आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों के संबंध में पूर्ण, सुरक्षित, प्रत्यक्ष और निर्बाध पहुंच की अनुमति देने का भी आह्वान किया।

भारत और अमेरिका ने कहा कि वे सभी अफगानों के लिए एक समावेशी और शांतिपूर्ण भविष्य की दिशा में निकट समन्वय जारी रखने और भागीदारों के साथ संयुक्त रूप से काम करने के लिए दृढ़ हैं।

1 मई से शुरू हुई अमेरिकी सेना की वापसी की पृष्ठभूमि में तालिबान ने पिछले महीने अफगानिस्तान में लगभग सभी प्रमुख शहरों और शहरों पर कब्जा कर लिया था। 15 अगस्त को राजधानी काबुल विद्रोहियों के हाथों गिर गया था।

समावेशी सरकार के आश्वासन के बावजूद तालिबान ने पहले घोषित मंत्रिमंडल में महिलाओं को शामिल नहीं किया है। मंत्रिमंडल में शामिल किए गए अधिकांश लोग जातीय पश्तून थे, जिनसे तालिबान अपने अधिकांश कैडर खींचता है। काम और शिक्षा सहित महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता पर भी कई प्रतिबंध लगाए गए हैं।

मंत्रिमंडल में कई नामित आतंकवादी भी शामिल हैं; तालिबान शासन को अभी तक किसी भी देश से मान्यता प्राप्त नहीं हुई है।

चिंता करने के बजाय पाकिस्तान पर कार्रवाई करे अमेरिका―

अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करते हुए अपनी चिंता व्यक्त की है कि पाकिस्तान में आतंकी संगठन सक्रिय है जो सुरक्षा के लिए खतरा है ...…

हैरिस की चिंता जायज है पाकिस्तान का असली चेहरा विश्व से छिपा नहीं है वह आतंकियों को संरक्षण देने का खेल अपने जन्म के बाद से खेल रहा है अमेरिका को चाहिए कि वह केवल चिंता न जताए बल्कि भारत का सहयोग लेकर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे ...…

दुनिया देख रही है कि पाकिस्तान ने किस तरह तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने में मदद देकर वहां लोकतंत्र को कुचल दिया है मानवता के इस दुश्मन को सबक सिखाना जरूरी है अमेरिका भी यह तभी कर सकेगा जब वह इस मामले में भारत की सहायता लेगा !!!!!!!!!

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