Anima Sidhi Kya Hai? Kaisi Milti Hai?

 अणिमा सिद्धि क्या है?  अणिमा सिद्धि कैसे प्राप्त की जा सकती है?  क्या इसे अपने व्यवहार द्वारा भी प्राप्त किया जा सकता है? आईये जानते है  अणिमा सिद्धि को पाने कि विधि या तरीका 

व्यवहार  और अणिमा सिद्धि 

-अपने को सूक्ष्म बना लेने की क्षमता ही अणिमा सिद्वि  है । 

-यह  वह सिद्धि है, जिससे युक्त हो कर व्यक्ति सूक्ष्म रूप धर कर एक प्रकार से दूसरों के लिए अदृश्य हो जाता है ।

-   इसके द्वारा व्यक्ति  आकार में लघु होकर एक अणु रुप में परिवर्तित हो जाता  है ।

-अणु एवं परमाणुओं की शक्ति से सम्पन्न  साधक वीर व बलवान हो जाता है । 

-अणिमा की सिद्धि से सम्पन्न योगी अपनी शक्ति द्वारा अपार बल पाता है ।

-अपने को सूक्ष्म बनाना अर्थात अपने को आत्मा समझना ।  आत्मा एक अणु है ।  अगर हम अपने बिंदु रूप में टिक जाए तो हमारे में  10 परमाणु बम्ब  जितना बल है । 

-समझना और समझाना सहज है क़ि   हम बिंदु आत्मा हैं परन्तु इस स्वरूप में  स्थित होने के लिये बहुत प्रेक्टीस की जरूरत होती है । 

-इस रूप में न टिकने का कारण यह है क़ि  प्रत्येक मनुष्य  अपने व्यवहार से अपनी शक्तियां नष्ट करता रहता है ।

-इस संसार को मनुष्य ने देशो के रूप में सीमाओं में बांट रखा है । 

-एक देश अपनी सीमाओं की रक्षा के लिये सेना के रूप में बहुत भारी तन बल,  शारीरिक बल,  मानसिक बल और धन बल नष्ट कर रहा है । 

-सभी देश हथियारो की दौड़ में लगे हुए हैं ।  इन हथियारो से पूरे विश्व में भय है । एक देश का व्यवहार दूसरे के प्रति दमन का है । 

-प्रत्येक देश भाषा और जातियो के आधार से  राज्यो में बंटा  हुआ  है ।  प्रत्येक राज्य सिर्फ अपने बारे सोचता है । 

-प्रत्येक विभाग  का मुखिया अपने ढंग से अपने अधीनस्थों का उत्पीड़न करता है । उनके साथ दुर्व्यवहार करता है। 

-घर का मुखिया अपने परिवार के लोगो को दबाता  है ।  उन्हे डांट फ़टकार लगाता  है ।  

-ऐसे ही धार्मिक संस्थाओ के लोग भी पैसे की चमक दमक में अपने पथ से भटक गये हैं और अनुचित व्यवहार जनता जनार्दन से करते हैं । 

-आज प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से कही न कहीँ और कभी न कभी अनुचित व्यवहार करता है ।  उसकी प्रतिक्रियाएं होती हैं ।   इस तरह  सारा संसार अपनी मानसिक शक्तियां नष्ट कर रहा है । 

-अणिमा जैसी सिद्वि  प्रत्येक व्यक्ति प्राप्त कर सकता अगर  मनुष्य अपनी मानसिक शक्ति नष्ट न  होने दे और वह तब हो सकता है  यदि मानव एक दूसरे से श्रेष्ट व्यवहार करने लगे । 

-आत्मा समझ  कर परमात्मा के बिंदु रूप को याद करने की प्रेक्टीस करनी है । 

-सिर्फ यह याद रखें मेरे पर जो निर्भर लोग हैं,  मैं  उनसे सदा श्रेष्ट व्यवहार करूगा, मेरे साथ कोई चाहे कैसा भी दुरव्यवहार करे ।  इस से  संसार बदलेगा और हमारी मानसिक शक्ति बचेगी और हमारे में अनंत मानसिक बल आ जाएगा । 

-ऐसा अभ्यास करने से अणिमा  सिद्वि आ जाएगी 

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