व्यवहार और अणिमा सिद्धि
-अपने को सूक्ष्म बना लेने की क्षमता ही अणिमा सिद्वि है ।
-यह वह सिद्धि है, जिससे युक्त हो कर व्यक्ति सूक्ष्म रूप धर कर एक प्रकार से दूसरों के लिए अदृश्य हो जाता है ।
- इसके द्वारा व्यक्ति आकार में लघु होकर एक अणु रुप में परिवर्तित हो जाता है ।
-अणु एवं परमाणुओं की शक्ति से सम्पन्न साधक वीर व बलवान हो जाता है ।
-अणिमा की सिद्धि से सम्पन्न योगी अपनी शक्ति द्वारा अपार बल पाता है ।
-अपने को सूक्ष्म बनाना अर्थात अपने को आत्मा समझना । आत्मा एक अणु है । अगर हम अपने बिंदु रूप में टिक जाए तो हमारे में 10 परमाणु बम्ब जितना बल है ।
-समझना और समझाना सहज है क़ि हम बिंदु आत्मा हैं परन्तु इस स्वरूप में स्थित होने के लिये बहुत प्रेक्टीस की जरूरत होती है ।
-इस रूप में न टिकने का कारण यह है क़ि प्रत्येक मनुष्य अपने व्यवहार से अपनी शक्तियां नष्ट करता रहता है ।
-इस संसार को मनुष्य ने देशो के रूप में सीमाओं में बांट रखा है ।
-एक देश अपनी सीमाओं की रक्षा के लिये सेना के रूप में बहुत भारी तन बल, शारीरिक बल, मानसिक बल और धन बल नष्ट कर रहा है ।
-सभी देश हथियारो की दौड़ में लगे हुए हैं । इन हथियारो से पूरे विश्व में भय है । एक देश का व्यवहार दूसरे के प्रति दमन का है ।
-प्रत्येक देश भाषा और जातियो के आधार से राज्यो में बंटा हुआ है । प्रत्येक राज्य सिर्फ अपने बारे सोचता है ।
-प्रत्येक विभाग का मुखिया अपने ढंग से अपने अधीनस्थों का उत्पीड़न करता है । उनके साथ दुर्व्यवहार करता है।
-घर का मुखिया अपने परिवार के लोगो को दबाता है । उन्हे डांट फ़टकार लगाता है ।
-ऐसे ही धार्मिक संस्थाओ के लोग भी पैसे की चमक दमक में अपने पथ से भटक गये हैं और अनुचित व्यवहार जनता जनार्दन से करते हैं ।
-आज प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से कही न कहीँ और कभी न कभी अनुचित व्यवहार करता है । उसकी प्रतिक्रियाएं होती हैं । इस तरह सारा संसार अपनी मानसिक शक्तियां नष्ट कर रहा है ।
-अणिमा जैसी सिद्वि प्रत्येक व्यक्ति प्राप्त कर सकता अगर मनुष्य अपनी मानसिक शक्ति नष्ट न होने दे और वह तब हो सकता है यदि मानव एक दूसरे से श्रेष्ट व्यवहार करने लगे ।
-आत्मा समझ कर परमात्मा के बिंदु रूप को याद करने की प्रेक्टीस करनी है ।
-सिर्फ यह याद रखें मेरे पर जो निर्भर लोग हैं, मैं उनसे सदा श्रेष्ट व्यवहार करूगा, मेरे साथ कोई चाहे कैसा भी दुरव्यवहार करे । इस से संसार बदलेगा और हमारी मानसिक शक्ति बचेगी और हमारे में अनंत मानसिक बल आ जाएगा ।
-ऐसा अभ्यास करने से अणिमा सिद्वि आ जाएगी