क्या हर समस्या का समाधान सीबीआई है?


नई दिल्ली (आइएएनएस) सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच सीबीआई से कराने से इन्कार कर दिया शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआई हर समस्या का समाधान नहीं है *लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए श्याम सुंदर की पत्नी रुबी देवी ने इस घटना की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की मांग की थी ...*…
रुबी देवी के वकील अरुण भारद्वाज ने कहा कि हम सीबीआई से जांच कराना चाहते हैं *इस पर प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सीबीआई हर समस्या का हल नहीं है ...*…

*हालांकि* पीठ ने कहा कि मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच हो सके इसके लिए वह प्रयास कर रही है जस्टिस सूर्यकांत और हिमा कोहली पीठ के अन्य न्यायाधीश हैं *...*…

*प्रेट्र के अनुसार* सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश एसआइटी जांच का एक अन्य हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज द्वारा प्रतिदिन के आधार पर निगरानी करने का सुझाव दिया है *पीठ ने आरोपपत्र दाखिल किए जाने तक जांच की निगरानी करने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश राकेश कुमार जैन या जस्टिस रंजीत सिंह के नाम का सुझाव दिया ...*…

*यह है मामला* कृषि कानूनों का विरोध कर रहा तथाकथित किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था तभी लखीमपुर खीरी से एक एसयूवी से चार किसानों को कुचला गया जिससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं, एक चालक और एक स्थानीय पत्रकार की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई !!!!!!!!!
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*कहीं लखीमपुर प्रकरण में न्याय की अनदेखी तो नहीं हो रही?*

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुए प्रकरण में जिस तरह न्यायालय ने सक्रियता दिखाई *वह बधाई के योग्य है* किन्तु खेद और दुर्भाग्य की बात है कि लखीमपुर खीरी प्रकरण में *केवल और केवल उन किसानों के प्रति ध्यान दिया गया* जिनकी उस प्रकरण में दु:खद मृत्यु हो गई थी *उसी घटनाक्रम में मारे गए या मार डाले गए पत्रकार व तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की मौत को तो जैसे विस्मृत ही कर दिया गया ...*.

वह विचारणीय है कि क्या उनकी मौत *मौत नहीं है?* क्या उनकी मौत *न्यायपालिका*, *संविधान* या *हमारे लोकतंत्र की नजर में उचित है???*

क्योंकि वे सत्ताधारी दल से जुड़े कार्यकर्ता थे या फिर पत्रकारिता का अपना काम कर रहे थे? *न्यायिक प्रक्रिया को तो सबके प्रति समान दृष्टिकोण और भाव रखना चाहिए* मीडिया में होने वाले शोर से यदि हमारा न्यायतंत्र अपनी कार्यप्रणाली तैय करने लगा *तो अन्याय हो जाएगा !!!!!!!!!*

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