मानसिक शक्ति को कैसे बढाये? यहाँ पर कुछ ऐसे टिप्स एंड ट्रिक्स दी गयी है कि जिससे आप अपनी मानसिक शक्ति को बड़ा सकते है.
-वस्तुओं और शरीरो की तरह मन को भी स्वच्छ और स्वस्थ रखा जाये तो इस क्रिया कलाप को अध्यात्म कहते हैं ।
-भौतिक विज्ञान को प्रत्यक्ष करने के उपकरणों को यंत्र कहते हैं और आत्म विज्ञान में उसे मंत्र कहते हैं ।
-भौतिक विज्ञान में थ्योरी और प्रेक्टिकल होता है ऐसे ही आध्यात्मिक विज्ञान में सूक्ष्म जगत का ज्ञान और साधना की जरूरत होती है ।
- मनुष्य और परमात्मा में गहरा सम्बन्ध है ।
-बिजली घर और घर में लगे पंखे के बीच तार में कमी आ जाये तो दोनो अपनी अपनी जगह होते हुए भी हवा का कार्य नहीं होगा ।
-- मनुष्य जीवन में जितना भी दुख है उसमे 25% शारीरिक है और 75% भाग मानसिक है ।
-मानसिक बल बढ़ जाने से सुखों में वृध्दि हो जाती है और दुखों में कमी होने लगती है ।
-स्थूल वस्तुओं की सहायता से स्थूल वस्तुएँ पकड़ने की विधि सब को मालूम है ।
-लिखने के लिये कलम पकड़ते है । पैरों की सुरक्षा के लिये जूते पहनते है । अंगारे को चिमटे से पकड़ते हैं । बिजली तार को रबड़ चढ़ा कर पकड़ते हैं ।
-अदृश्य शक्तियों को कैसे पकड़े यह नहीं जानते ।
-बिजली, भाप, गैस, परमाणु आदि शक्तियां सदा से मैजूद थी पर आज से 500 साल पहले लोगो को पता नहीं था कि इन्हे कैसे पकड़े और अपने काम में लाये । आज इनका भरपूर लाभ उठाया जा रह है ।
-दिव्य शक्तियां बिजली, भाप, परमाणु आदि से भी अधिक सूक्ष्म है, इस लिये यह अभी पकड़ में नहीं आई हैं ।
-सूक्ष्म शक्तियां उस जाती की है जिस जाती की हमारी आत्मा है ।
-आत्मा को ऐसी विशेष परिस्थितियो में ढाला जाये जो उन दिव्य शक्तियों के अनुकूल हो तो इस प्रकार उनके समान चुम्बकतव बल पैदा होगा और उन शक्तियों को पकड़ना सम्भव् हो सकेगा ।
- शिव बाबा या ईष्ट को मन में देखते हुए यह सिमरण करते रहें भगवान आप प्यार के सागर है प्यार के सागर हैं तो हमारा मन भगवान की सूक्ष्म शक्तियों को पकड़ने लगता है !
-डायनमो की मोटर निरंतर घूमने से विद्युत पैदा होती है । डायनमो का घूमना बंद हो जाये तो उसी क्षण विद्युत का उत्पादन रुक जायेगा ।
- एक शुद्ध संकल्प को माइंड में रखने से एक ऐसा चक्र या च्क्र्व्यूह बनता है जो एक निच्छित गोलाई से चक्र काट के सोचने वाले के पास लौट आता है ।तब उस विचार से शक्ति बनने लगती है, जिस के परिणाम स्वरूप हमे खुशी मिलती है, उत्साह बढ़ता है, शक्तिशली महसूस करते हैं ।
-यह खुशी हमें आध्यात्मिक विद्युत के कारण होती है, जो एक शुध्द संकल्प को मन में घूमा रहे होते हैं ।
-जैसे ही संकल्प का घूमना मन में बंद करते हैं, उसी समय आध्यात्मिक विद्युत प्रवाह रुक जाता है ।
-किसी विचार को रिपीट अर्थात मनन करना । किस संकल्प के बाद कौन सा संकल्प रखने से किस प्रकार की विद्युत पैदा होगी, इस रहस्य से हमारे ऋषि मुनि परिचित थे । जो लुप्त हो गया है । फ़िर से इस खोज की जरूरत है ।
-हर स्वर, हर शब्द, हर संकल्प एक विशेष कम्पन पैदा करता है । जिस से विद्युत पैदा होती है या नष्ट होती है ।
- संकल्प एक प्रत्यक्ष शक्ति है जिस का अणु शक्ति, विद्युत शक्ति तथा ताप शक्ति की तरह प्रयोग किया जा सकता है और जीवन मेंं मनचाहे लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं ।
-शिव बाबा या इष्ट का सिमरण करने से हमारे साधारण संकल्प भी बहुत शक्तिशाली बन जाते हैं और हमे मनचाहे अच्छे लक्ष्य प्राप्त होने लगते हैं !