BJP ka Gujrat Me Dhamaka

 गुजरात में जो हुआ क्या वह संयोग नहीं प्रयोग है???

मुख्यमंत्री सहित आवे का आवा ही बदल दिया गया वह भी कैबीनेट रिशफल नहीं कल्पना से भी बाहर ...…

एक ही बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल सीधे मुख्यमंत्री और अब तक केवल विधायक रहे नेता सीधे मंत्री पुराना कुनबा खत्म नए का जन्म ...…



सम्भवतः एक बार वामपंथियों ने केरल में ऐसा किया था परन्तु वहाँ सीएम नहीं बदला था गुजरात में तो भाई लोगों ने सीएम को भी नहीं छोड़ा ...…

बड़े तेवरों और दमखम वाले नेता शपथग्रहण में मंत्रियों वाली गाड़ियों में गए थे जब लौटे तो पैदल हो गए यह कहने पर लोग खफा हो जाते हैं परन्तु निश्चित रूप से ऐसा प्रयोग मोदी और शाह की प्रयोगशाला में ही सम्भव है ...…

यह नई दिशा है और कम से कम भाजपानीत राज्यों के लिए नया नैरेटिव सैट कर दिया गया है भाजपा की सभी सरकारें काम करें या फिर कुटुंब के साथ जाएँ मोदी शाह की जोड़ी ने यह नया प्रयोग अपने गृहराज्य में किया ताकि ऊँच नीच हो तो खुद संभाल लें ...…

यह खेल शुरू करना आसान नहीं है हौसला चाहिए नहीं तो हमने भजनलाल का आयाराम गयाराम दौर भी देखा है जब मुख्यमंत्री पूरी पार्टी ही ले उड़े थे जरा सी चूक हो जाए तो दल बदल का ऐसा दौर शुरू हो जाता है कि संभाले न संभले हरियाणा में ही बंसीलाल देवीलाल आदि लालों नें बड़े गुल खिलाए हैं ...…

आंध्रा में भी बड़ा अजीब दौर चला है लेकिन भाजपा ने गुजरात का धमाका कर डाला यह असरकारी होगा तो ट्रेंड चल निकलेगा राजनीति के पड़े पड़े सड़ जाने से यह प्रयोग अच्छा है परन्तु ऐसा तभी सम्भव है जब कैडरबेस पार्टी हो केरल में मार्क्सवादी भी बीजेपी की तरह कैडर वाले लोग हैं चूंकि यह प्रयोग है अतः नतीजे पर तत्काल बहस नहीं की जा सकती प्रयोगशाला हो या पौधशाला नतीजे आने में समय लगता है एक तरह से अच्छा प्रयोग है पदों पर अधिक समय हो जाए तो मंत्री सत्ता को जागीर समझने लगते हैं मोदी शाह की जोड़ी ने हाल ही में ऐसा प्रयोग केंद्र में किया था और एक साथ 36 मंत्रियों से मंत्री पद लेकर सांसद बने रहने पर मजबूर कर दिया था एक महीने में उत्तराखण्ड के तीन मंत्री बदल डाले थे ...…

राजनीति सदा से जीवंत विषय रही है राजनीति की जमीन बड़ी उपजाऊ है इसमें पावर है राग रंग है रस है बीज बेशक न हो पर फल है बस एक बार हाई जम्प लग जाए तो फिर आनंद ही आनंद है लेकिन पावर छिन जाए तो उसी तरह की तड़फन है जैसी कुछ वर्षों से अनेक महानुभावों को हो रही है अब क्या करें साहब नया दौर है तो राजनीति भला क्यों बासी रहती? तो अपने गुजरातियों ने सिर के बल पलट डाला महानुभावों को ...…

ऐसा भी हो सकता है पहले किसी ने नहीं सोचा अब सोचा जाएगा संभावना है कि सरकारें स्पीड पकड़ लें हम अपने राज्य में हाल में बदले गए बहुत युवा मुख्यमंत्री की स्पीड देख रहे हैं निश्चय ही राजनीति में सड़ चुके हिस्से का ऑपरेशन जरूरी हैं जो किसी के चरण वंदन और किसी को निरन्तर ढोते रहने के अभ्यस्त हो गए हैं वे लगे रहें सत्तारूढ़ भाजपा तो काम पर लग गई है !!!!!!!!!

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