भगवान को प्रणाम करने का सही तरीका क्या है?


मैंने कईं माताओं बहनों को मंदिर में भगवान के सामने दंडवत/ साष्टांग प्रणाम करते देखा है। 
शास्त्रों में कहा गया है कि - 

ब्राह्मणस्य गुदं शंखं शालिग्राम च पुस्तकं। 
वसुंधरा न सहते कामिनी कुच मर्दनं। 

ब्राह्मण का गुदा, शंख, शालिग्राम भगवान, पुस्तक और स्त्री की छाती जमीन पर लगने से दोष होता है व  धरती पर भार पड़ता है। 
सुभाषीतानि में लिखा गया है कि 🌷
ब्राह्मण बिना आसन के (जिनमें ब्राह्मणत्व हो), स्त्रियों के स्तन ,शंख ,अनामिका में पहनी हुई पवित्री, और जप की हुई रुद्राक्ष की माला यह पांच चीजों का भार पृथ्वी वहन नहीं कर सकती इसलिए उसका स्पर्श जमीन से नहीं होना चाहिए। अतः स्त्रीयों को साष्टांग नमस्कार (दंडवत) निषिद्ध है।

इसलिये पुरुष इस तरीक़े से और स्त्री इस तरीके से प्रणाम करें 👆

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