अमेरिका से 157 नायाब कलाकृतियां वापस ला रहे पीएम मोदी, चोरी-तस्करी के जरिए गई थीं देश से बाहर

  1976 से 2013 के बीच विभिन्न सरकारें विदेश से केवल 13 पुरावशेष ही वापस ला पाईं। 2014 में जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तबसे अब तक 200 से अधिक पुरावशेष या तो वापस आ गए हैं या वापस आने की प्रक्रिया में हैं। 2004 और 2014 के बीच केवल एक कलाकृति ही भारत लौट पाई। देखा जाए तो मोदी सरकार चार दशक पहले कीमत तुलना में अधिक प्राचीन भारतीय कलाकृतियां वापस लाई है।

अमेरिका से 157 नायाब कलाकृतियां वापस ला रहे पीएम मोदी, चोरी-तस्करी के जरिए गई थीं देश से बाहर

दुनिया भर से देश की विरासत को वापस लाने की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका से अपने साथ 157 कलाकृतियां वापस ला रहे हैं जो चोरी और तस्करी के जरिये देश के बाहर चली गई थीं।

★   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बार की अमेरिका यात्रा बहुत उपलब्धियों भरी रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ दोस्ती का नया अध्याय शुरू करने के साथ संयुक्त राष्ट्र में कामयाबी के झंडे गाड़कर लौट रहे पीएम मोदी देश की अमूल्य धरोहरों को भी वापस ला रहे हैं।

★   यह कलाकृतियां और पुरावशेष तस्करी और चोरी करके कभी अमेरिका ले जाए गए थे।

★   लगभग आधी कलाकृतियां (71) सांस्कृतिक हैं, जबकि अन्य आधे में हिंदू धर्म (60), बौद्ध (16) और जैन धर्म (9) से संबंधित मूíतयां हैं। 

★   इन 157 कलाकृतियों की सूची में 10 वीं शताब्दी के बलुआ पत्थर में रेवंत के डेढ़ मीटर बेस रिलीफ पैनल से लेकर 12वीं शताब्दी की 8.5 सेंटीमीटर ऊंची कांसे की नटराज की मूर्ति शामिल है।

★   दरअसल मोदी सरकार ने दुनिया भर से भारत की प्राचीन वस्तुओं और कलाकृतियों को वापस लाने की मुहिम छेड़ रखी है। ये 157 कलाकृतियां उसी मुहिम के तहत वापस लाई जा रही हैं।

★   बहुत सी कलाकृतियां 11वीं शताब्दी से 14वीं शताब्दी की अवधि के बीच की हैं। कुछ पुरावशेष 2000 ईसा पूर्व के हैं।

★   टेराकोटा का एक फूलदान दूसरी शताब्दी का है। करीब 45 पुरावशेष ईसा पूर्व दौर के हैं। कांस्य संग्रह में मुख्य रूप से लक्ष्मी नरायण, बुद्ध, विष्णु, शिव पार्वती और 24 जैन तीर्थंकरों की प्रसिद्ध मुद्राओं की अलंकृत मूíतयां हैं।

★   देवताओं के अलावा कंकलामूíत, ब्राह्मी और नंदीकेश की भी मूर्तियां हैं। इन कलाकृतियों में तीन सिर वाले ब्रह्मा, रथ पर आरूढ़ सूर्य, शिव की दक्षिणामूर्ति, नृत्य करते गणेश की प्रतिमा भी है। इसी तरह खड़े बुद्ध, बोधिसत्व मजूश्री, तारा की मूर्तियां हैं।

जैन धर्म की मूर्तियों में जैन तीर्थंकर, पद्मासन तीर्थंकर, जैन चौबिसी के साथ अनाकार युगल और ढोल बजाने वाली महिला की मूर्ति शामिल हैं। इसके अलावा टेराकोटा की 56 कलाकृतियां और 18वीं शताब्दी की म्यान के साथ एक तलवार है जिसमें फारसी में गुरु हरगोविंद सिंह लिखा है।

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