भारतीय सेना की बढ़ेगी ताकत, बेहद खतरनाक 'स्काई स्ट्राइकर' से

 भारतीय सेना की ताकत दिन प्रतिदिन दिन बढती जा रही है. अब इसी श्रृंखला में बेहद खतरनाक 'स्काई स्ट्राइकर' ड्रोन जुड़ने जा रहा है. खतरनाक 'स्काई स्ट्राइकर' ने चीन-पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है.

भारतीय सेना की बढ़ेगी ताकत, बेहद खतरनाक 'स्काई स्ट्राइकर' से

भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने जिस तरह 2019 में बालाकोट में घुसकर एयर स्ट्राइक की थी, वैसे ही हवाई हमलों के लिए भारतीय सेना खुद को मजबूत करना चाहती है. इसलिए सेना ने 100 से अधिक ‘स्काई स्ट्राइकर’ खरीदने के लिए एक डील की है.

◆  बेंगलुरु की कंपनी अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज के नेतृत्व वाले संयुक्त उद्यम इजराइल की कंपनी एलबिट सिस्टम से यह अनुबंध किया गया है.

◆   स्काई स्ट्राइकर एक ‘आत्मघाती ड्रोन’ की तरह काम करता है, जो विस्फोटकों के साथ लक्ष्य को मारकर खुद भी नष्ट हो जाता है.

◆  यह खुद 5 किलो वारहेड के साथ निर्दिष्ट लक्ष्यों का पता लगाकर उन पर हमला कर सकता है.

◆   यह बहुत ही धीमी आवाज के साथ कम ऊंचाई पर उड़ सकता है, जो इसे मौन, अदृश्य और आश्चर्यजनक हमलावर बनाता है.

◆   इनकी मारक क्षमता करीब 100 किलोमीटर तक होगी, लेकिन यह स्काई स्ट्राइकर 20 किमी. दूर स्थित लक्ष्य क्षेत्र तक 10 मिनट में पहुंचकर मिशन को अंजाम देने के बाद लौट सकते हैं.

◆   लॉन्च करने से पहले इस पर ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लोड किया जाता है.

◆   इसका अपने लक्ष्य को मारने का तरीका भी अलग है क्योंकि यह उड़ान भरने के बाद पहले लक्ष्य के चारों ओर चक्कर लगाता है और फिर ग्राउंड कंट्रोल रूम की मंजूरी मिलने के बाद ही लक्ष्य को टार्गेट करता है.

◆   इसे लॉन्च करने के बाद ग्राउंड कंट्रोल रूम लक्ष्य भी बदल सकता है और किसी भी मिशन को रद्द करके उसे वापस भी बुला सकता है.

100 से अधिक ड्रोन के लिए डील

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को सीआरपीएफ के काफिले पर किए गए आत्मघाती हमले का बदला लेने के लिए ठीक 12 दिन बाद भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने 26 फरवरी 2019 को तड़के 3.30 बजे बालाकोट में घुसकर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया था. इसे बालाकोट एयर स्ट्राइक के नाम से जाना जाता है.

अब भारतीय सेना भी खुद को इसी तरह की एयर स्ट्राइक करने के लिए मजबूत करना चाहती है. यही वजह है कि सेना ने आपातकालीन खरीद के तहत विस्फोटक से लदे 100 से अधिक ड्रोन की आपूर्ति के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये का अनुबंध बेंगलुरु की कंपनी अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज के नेतृत्व वाले संयुक्त उद्यम इजराइल की कंपनी एलबिट सिस्टम से किया है.

वायुसेना की निगरानी शक्ति बढ़ाएंगे रडार

अल्फा डिजाइन के संयुक्त उद्यम को भारतीय सेना के अनुबंध के अलावा हाल ही में भारतीय वायु सेना से दो और रक्षा अनुबंध मिले हैं. पहले अनुबंध में 6 अति उच्च आवृत्ति वाले रडार शामिल हैं. भारतीय वायु सेना लंबी दूरी के निगरानी रडार पी-18 का संचालन कर रही है, जिसकी सीमा 200 किमी तक है. नए रडार भारतीय वायुसेना की निगरानी शक्ति को बढ़ाएंगे.

दूसरा अनुबंध दोस्त या दुश्मन की पहचान करने वाली 60 प्रणालियों के लिए किया गया है, जिन्हें जमीनी रडार के साथ एकीकृत किया जाएगा. डीआरडीओ के तहत सेंटर फॉर एयरबोर्न सिस्टम्स ने इसे विकसित किया है. इसके बाद यह प्रौद्योगिकी अल्फा, बीईएल और डेटा पैटर्न कंपनियों को स्थानांतरित कर दी गई है.

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