सूक्ष्म शरीर क्या होता है?

-सूर्य का प्रकाश शक्ति का स्थूल रुप है । इसमे सूक्ष्म शक्तियां, चुम्बकीय  विद्युत, इन्फ्रा रेड तरंगे, ईथर तत्व  आदि आदि  समाया  हुआ है । सूर्य के प्रकाश से धरती के कार्य चलते है ।

-ऐसे ही शरीर तो मनुष्य  का स्थूल रुप है। इस का बल  बहुत कम है । परंतु इसे असली  ऊर्जा  सूक्ष्म शरीर से मिलती है । सूक्ष्म शरीर अथाह खजानों का भंडार  है । बस हमें इसे जागृत करना  है ।
-इसे जागृत करने लिये बाहरी चेतन मन को निद्रित  करना होगा ।

-मन पसंद चीजो पर एकाग्र हो कर सोचो । सांसारिक  कार्य करते हुये भी  संसार को भुले  रहो और आध्यात्मिक लोक में भ्रमण करने का अभ्यास करते रहो । बाहरी मन नियंत्रण में आता जायेगा ।

-सूक्ष्म शरीर  का केन्द्र सिर में,  पतालु  में, जहां चोटी  रखते है,  वहां है । अगर यहां ध्यान लगाये तो यह केन्द्र जागृत होगा ।

-ईष्ट  देव की शक्ल को मन  में देखते रहो । उसे निहारते रहो । इस से सूक्ष्म मन साफ होता जायेगा  और धीरे धीरे अप्रत्यक्ष बातो की जानकारी होने लगेगी ।

-पारस पत्थर अपने समीपव्रती लोहे के कणों  को स्वर्ण बना  देता है ।

-चंदन का वृक्ष आस  पास के वातावरण में सुगंध फैला  देता है ।

-योगी के मन से जब श्रेष्ट संकल्प हर समय निकलते रहते है तो उनके सम्पर्क में जो भी  आता  है वह भी  पूज्यनीय बन जाता है  तथा  सम्बन्धित सूक्ष्म केन्द्र भी  जागृत होते है ।

-उत्कृष्ट व्यक्ति के विचार  असंख्यो  को अपने प्रकाश से लाभान्वित करते रहते है  तथा  उत्तम  विचार  सूक्ष्म शरीर के सम्बन्धित  शक्ति केन्द्रों को खोलते रहते है ।
 
-अपने इष्ट की नाभी  में ध्यान लगाने से वात, पित्त  और कफ नियंत्रण में आते है,  जिस से शरीर के सभी रोग ठीक हो जाते  है । इसलिये जब कभी कोई रोग आयें तो इष्ट की नाभि या स्वयं  की नाभि   या बीमार व्यक्ति की नाभि पर ध्यान लगाने से सूक्ष्म शरीर का वह केन्द्र खुल जाता है जहां  कोई रोग नहीं है । इस  तरह  से आधी व्याधि की बीमारी भी   ठीक हो जायेगी ।

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