Hindi Poem on a Small Child

 Hindi Poem on a Small Child - A small child is so cute and innocent. A poem on him will elaborate his behaviour and truthfulness of his behaviour. Infact, it is the truthfulness of his childhood which reflect in his behaviour. A small child specifies his wishes through this poem. He specify what he had wanted to have when he was a child. The child's wishes are his reality of his childhood.

जब मैं छोटा बच्चा था तो चाहता था घर से भागना,

जहाँ न हो पढ़ने की टेंशन,

जहाँ न हो मार्क्स की टेंशन,

जहाँ मैं अपनी मर्जी से सोऊ,

जहाँ मैं अपनी मर्जी से उठू,

कोई न हो रोकने-टोकने वाला।

 

पता न था,

जब हुआ अलगाव,

पहाड़ से भी होता बड़ा अलगाव,

नदी के प्रवाह से तेज पीड़ा देता अलगाव,

समुन्द्र से ज्यादा गहरा होता अलगाव।

 

जब होते सब साथ,

तो होना चाहते है सबसे अलग,

बसाना चाहते एक नयी दुनिया,

छोटी सी वो दुनिया जिसमें हूँ बस मैं और सिर्फ मैं।

 

नहीं चाहिए कोई और,

नहीं चाहिए कोई झगड़ा,

नहीं चाहिए कोई तनाव,

नहीं चाहिए कोई परेशानी,

नहीं चाहिए कोई जिम्मेदारी।

 

जीना चाहता हूँ मैं अपनी ज़िन्दगी,

ये मेरी ज़िन्दगी है,

मैं चाहे जैसे भी जिऊ,

ये मेरी मर्जी है,

मैं चाहे जैसे भी जिऊ।

 

पता ना था,

जब हुआ अलगाव,

आंसुओं की बाढ़ के साथ,

मानो धड़कता हुआ दिल दर्द से फट गया हो,

इस दुख के आगे पहाड़ गिर जाते हैं,

एक शक्तिशाली नदी अपना प्रवाह रोक देती है,

लेकिन जेल के दरवाजे मजबूती से बंद रहते हैं।

अपराधी को जेल में बंद करने सामान,

अलगाव देता मौत के करीब एक पीड़ा।

 

ताज़ी हवाएँ अब धीरे से चलती हैं,

ये स्वतंत्रता नहीं ये अकेलापन है।

मरे हुए से बेजान से हो गए है हम,

लेकिन आशा अभी भी,

दूरी में गाती है।

हम मिलेंगे,

फिर मिलेंगे,

अलगाव के बाद।

 

चंद्रमा के चारों ओर कौन सी झिलमिलाती मृगतृष्णा है?

मुझे पता है,

हम इस काले बादल और बारिश के बवंडर के बाद धूप पाएंगे,

क्योंकि अगर सर्दियों को वसंत में बदलने की हिम्मत है।

 

कौन कहता है कि हम फिर से खिल नहीं सकते?

होगा हमारा फिर से मिलन,

ये अलगाव की दूरी मिट जाएगी हमेशा के लिए,

हमारा परिवार होगा फिर से एक

इस अलगाव के बाद।

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