Love and Forgive are co related - Prem aur Kshama

 -प्रेम और क्षमा 

- प्रेम की कमी के कारण तथा शारीरिक  कमजोरी के कारण  भी डर लगता  है । जब शरीर मे किसी खास  किस्म के  विटामिन  और मिनरल कम हो जाते  है तो खास  कमजोरी हो जाती है जिस से डर लगने लगता  है । लोग सोचते हैं यह  किसी पाप के कारण होता है । पाप भी एक कारण  है । परंतु ज्यादा  कारण  कुपोषण  है । बुढापे मे मनुष्य लाठी को सहारा समझता है जब कि  लाठी मे कोई ताकत नहीं होती । इसलिये भय महसूस होने पर नीच कर्म  समझ माफिया न  माँगते रहो । परंतु शरीर को उम्र अनुसार स्थूल  खुराक   और प्यार दो ।

Love and Forgive are co related - Prem aur Kshama| Shree Hanumate Namah


--आत्मा  मे शक्ति भरती  है शांति और  प्रेम से । परमपिता परमात्मा  को याद करने से आत्मिक बल बढ़ता है । तथा  जो भी मनुष्य सामने  दिखाई  दे या याद आये उसे देखते ही मन मे कहो आप शांत है या कहे आप स्नेही है । इस से हमारे अन्दर शांति और प्रेम के भाव  बढेगे और परमात्मा  से भी जुड़ते जायेगे । धीरे धीरे आत्मा शक्तिशाली बन  जायेगी और भय ख़त्म हो  जायेगा ।

-प्रेम मे ऐसी शक्ति है जो हमारे ऐसे रिशतेदार  और मित्र वा सम्बन्धी  जो शरीर छोड़ चुके  है उनके पास भी पहुँचता  है । असल मे वे सभी इस संसार मे जन्म ले  चुके  हैँ और एक अलग फ्रेक्वेन्सी  पर रह रहे है इसलिये वे दिखाई  नहीं देते । प्रेम एक ऐसी फ्रेक्वेन्सी  है जो उन आत्माओ  को भी ढूँढ़ लेती  है । सिर्फ उन की शक्ल को कल्पना मे देखते ही हमारा मन उनसे जुड़ जाता है । वह चाहे कहीं भी रह रहे हो । उनके पास स्थूल भोजन, स्थूल पदार्थ और पैसे नहीं पहुंचते । इसलिये अगर हम उनकी मदद करना चाहते  है  तो उनके प्रति प्रेम और शांति की तरंगे भेजो जो उन्हे शक्तिशाली  व  मालामाल कर देंगी  । वे चाहे कैसे भी थे उन्हे दुआयें दो शुभ भावनायें  दो । यही एक विधि है जिस से उनकी मदद कर सकते हैँ ।  यही सच्ची क्षमा  भी है ।

-फलाने व्यक्ति ने आत्म हत्या कर ली, फलाना व्यक्ति एक्सीडेंट मे मर गया,   कोई बीमारी से मर गया, जब भी आप कोई ऐसा समाचार सुने, बेशक आप उसे जानते हो या न जानते   हो, उसके लिये भी परमात्मा से  शांति और प्रेम की कामना करो। ऐसे महसूस करो जैसे आप उन्हे प्यार से पुचकार रहे हैं  । आप का यह भाव  उनको भी पहुंचेगा !

-निर्जीव वस्तुओं, यंत्रों एवम पानी आदि पर भी भावनाओ  और विचारो का प्रभाव पड़ता  है । प्रत्येक पदार्थ एक तरंग है ।  इस लिये आप अपनी वस्तुओं, उपकरणों आदि निर्जीव  चीजो को एक नई दृष्टि से देखो । हमारी मानसिक शांति, दैनिक जीवन मे काम आने वाली वस्तुओं और उपकरणों पर भी निर्भर है । उन्हे भी प्यार दो, धन्यवाद दो, उनका पूरा  रख रखाव रखो वे आपके लिये भाग्यशाली सिध्द  होगे । उन्हे ऐसे रखो जैसे हम घर  के सदस्यों की देखभाल करते है ।

-कोई भी व्यक्ति चाहे कितना भी दुर्गुणी हो, जैसे ही मन में आये, तुरंत सोचो तुम शांत हो ,  तुम शांत हो ! आप का  यह विचार उसे तो बदलेगा ही , उस का  संसार भी बदलेगा ! यही सच्ची क्षमा है !

कई  बार ऐसी परिस्थियां  बनती है कि  व्यक्ति सोचता है, चाहे सब को माफ करूँ  परंतु फलाने  व्यक्ति को माफ नहीँ कर सकता, उसने मेरा कितना बुरा किया । कोई   किसी हत्यारे को कैसे माफ कर सकता  है, किसी आतंकवादी को कैसे माफ कर सकता है, मै तो कभी नहीँ करूँगा । ऐसे केसो  मे क्षमा  आसान नहीँ पर असम्भव भी नहीं ।

-नफरत का भाव  सूचित करता है कि  जो भी बूरा हुआ है उनके प्रति अपना दृष्टिकोण बदलो । हो  गया  सो हो गया  अब क्या अच्छा  कर सकते है वह करो । गढ़े  मुर्दे  उखेड्ने से दुख ही बढेगा ।

-मै इसे सात जन्मों तक नहीं  भूलूगा, अगर आप ऐसे विचार  रखते है तो आप भटके रहेंगे । यहां समझो यह मेरा आखिरी बंधन है । इसे जल्दी से जीतना है । ऐसे लोगो के साथ रहते हुये अपना  ध्यान सदा परमात्मा या किसी कार्य पर या किसी मन पसंद व्यक्ति को मानसिक तरंगे देने मे बिज़ी रखो ।

-उनके प्रति  नफरत पाल कर, आपकी कितनी उर्जा बर्बाद हुई, विचार  दूषित हुये । उस इंसान ने नुकसान पहुँचाया उस से बड़ा  नुकसान तो आप खुद सोच  सोच कर कर रहे है ।

-अपराधी व्यक्ति के प्रति भगवान  को याद करते हुये सदा सोचते रहो उनकी पाप वृत्ति साफ हो ।  वे शांत वा प्रेम स्वरूप है । यकीन रखो आप की  शुभ भावनायें उनकी सोच  बदल  देगी । जैसे भगवान  बुद्व ने अंगुलिमाल डाकू को बदल दिया । जीजस  ने सूली चढाने वालो को माफ कर दिया  ।

-नफरत नफरत को बढ़ाती  है । प्रेम प्रेम को बढ़ाता  है । यदि सभी ये रहस्य समझ जाये तो विश्व मे चमत्कार हो जायेगा । चारो तरफ़ प्रेम का साम्राज्य हो  जायेगा  ।

-कई  पूछते है,बच्चो पर हाथ  उठाये  या  नहीं । हाथ  उठाने  से पहले अपने विचार  अपना मूड उठाओ । मूड अच्छा है तो बड़े से बड़ी गलती भी माफ  । मूड खराब  है तो छोटी सी गलती भी पहाड़ बन जाती है  तथा  औरों की गलती का गुस्सा भी बच्चो पर उतारते  है । सही या गलत आप के मूड पर है ।

-हर मनुष्य मे कोई ना कोई डर होता है । जिसका कारण वे खुद भी नहीं जानते । किसी को पानी से डर लगता है । किसी को ऊँचाई  से डर लगता  है । किसी को आक्सिडेंट से डर लगता है । किसी को हवाई यात्रा से डर लगता  है । किसी को अकेलेपन से डर लगता है । कईयों को अँधेरे से डर लगता है । चोर या भूत से डर लगता है । कई आग से डरते है ।

-ऐसे डरो का कारण पिछले जन्मों से होता है । जिन चीजो से डर लगता है इनसे सम्बन्धित चीजो के द्वारा कोई ना कोई दुर्घटना हुई थी जिस कारण आज  अनजाने मे  उन से  डर  लगता  है ।

-जब हम आसपास की  घटनाओं को स्वीकार नही कर पाते तो हम बार बार शिकायतें  करने लगते है । उसने ऐसा कहा, उसने वैसा किया ।

-इंसान जितनी शिकायतें  करता है, गाली के बदले गाली दे डालता है या मन मे बड़ बड़ करता है तो इसका सीधा सा मतलब है आप प्यार से वंचित है तथा  अपने को दुःख  से भर  रहे है ।

- हम मन मे  पकड़ कर बैठ जाते है, मुझे ही क्यों कहा, मै कभी नही भूलूगा, माफ नही करूँगा, बदला  लूँगा । ऐसी सोच  हमारे अन्दर रूकावटे पैदा करती है । जिसके परिणाम स्वरूप हमे बुरी फीलिंग होने लगती है । शारीरिक और मानसिक बीमारियाँ होने लगती है । रिश्तों मे कड़वाहट आने लगती है ।

-याद रखो हम लोगो की सोच व ज़बान को नही रोक सकते । उन की बातो को  सुनो अगर कोई तुम्हारी गलती है तो ठीक करो  । अगर गलती नही है तो मस्त हाथी की  चाल चलते रहो । 

-लोग अपने वाहनों पर तरह तरह के स्लोगन लिखवाते है जिन्हे सुनने मे भी अच्छा नही लगता । ऐसे स्लोगन प्रेम  की  भावना  को कमजोर करते है । लिखवाना ही है तो यह लिखवायें  "  क्षमा , स्वीकार और जाने दो " ।

-जब हम अपने मूल स्वभाव, शान्ति  व प्रेम को भूल जाते  है , तब क्रोध,नफरत , चिंता व तनाव जैसे विकारों से घिर जाते है ।  इसलिये सदैव किसी न किसी व्यक्ति को शांति व प्रेम की  तरंगे भेजते रहो ।

-मुँह से क्षमा माँगना  सहज नही होता , हमे बाद मे समझ आता  है कि  मेरी गलती थी । तब क्षमा करने व मांगने का समय नही होता । ऐसे मे हर समय उनके प्रति स्नेह भाव, क्षमा  का भाव, दया का भाव रखो । ऐसा  करने से जो उन्हे मानसिक पीड़ा  हुई  है उस की भरपाई हो जायेगी ।

 -अगर आप किसी को पसंद नही करते,उसके बारे गलत  सोच रहे है , उसका बूरा कर रहे है , उसे क्षमा  नही कर पा रहे है। ऐसे मे वह भी आप के प्रति गलत भाव  रखेंगे । उसके मन मे भी आप के प्रति नफरत और क्रोध  के भाव  होगे । वह और आप दोनो दुखी हो जायेगे । सदा उसके  प्रति  प्रेम के भाव  रखो तो  आप को सकून मिलेगा ।

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