व्यवहार कला से संसार परिवर्तन
-सिद्विया
-हमारा दिमाग अनंत शक्तियो का भंडार हैं ।
-90 % दिमाग की शक्तियो को हम कभी प्रयोग ही नहीं कर पाते क्योकि सभी मनुष्य अपनी शक्तियां व्यवहार में नष्ट कर देते हैं ।
-हरेक व्यक्ति छोटा बड़ा समान रूप से शक्तियां नष्ट कर रहा है ।
-मनुष्य में दूसरो पर शासन करने की जो भावना है इसकी पूर्ति केलिये हम दूसरो से ठीक व्यवहार नहीं करते हैं । जिस से वह व्यक्ति आहत हो जाते हैं और विरोध करते हैं । इस विरोध को दबाने में मानसिक बल नष्ट हो जाता है ।
-प्रत्येक व्यक्ति के दिमाग में अष्ट सिद्वियों की शक्ति है ।
-सिद्धि अर्थात पूर्णता की प्राप्ति होना व सफलता की अनुभूति मिलना ।
-जो सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है उस का जीवन पूर्णता को पा लेता है ।
-असामान्य कौशल या क्षमता अर्जित करने को 'सिद्धि' कहा गया है ।
- यदि नियमित और अनुशासनबद्ध रहकर कार्य किया जाए तो अनेक प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त की जा सकती है ।
- सिद्धियों को पाने के बाद संसार में कुछ भी असंभव नहीं रह जाता ।
- आठ मुख्य सिद्धियाँ इस प्रकार हैं ।
-अणिमा सिद्धि ( Anima Siddhi )
- यह वह सिद्धि है, जिससे युक्त हो कर व्यक्ति सूक्ष्म रूप धर कर एक प्रकार से दूसरों के लिए अदृश्य हो जाता है। इसके द्वारा व्यक्ति एक अणु रुप में परिवर्तित हो सकता है। अणु की शक्ति से सम्पन्न साधक वीर व बलवान हो जाता है । इस सिद्धि से सम्पन्न योगी अपनी शक्ति द्वारा अपार बल पाता है ।
महिमा सिद्धि ( Mahima Siddhi )
अपने को बड़ा एवं विशाल बना लेने की क्षमता को महिमा कहा जाता है. यह आकार को विस्तार देती है विशालकाय स्वरुप को जन्म देने में सहायक है. इस सिद्धि से सम्पन्न होकर साधक प्रकृति को विस्तारित करने में सक्षम होता है।
गरिमा सिद्धि ( Garima Siddhi )
- मनुष्य अपने शरीर को जितना चाहे, उतना भारी बना सकता है उसका वजन या भार उसके अनुसार बहुत अधिक बढ़ सकता है जिसके द्वारा वह किसी के हटाए या हिलाए जाने पर भी नहीं हिल सकता ।
लघिमा सिद्धि ( Laghima Siddhi )
इस सिद्धि में साधक स्वयं को अत्यंत हल्का अनुभव करता है.। इस के प्रभाव से योगी सुदूर अनन्त तक फैले हुए ब्रह्माण्ड के किसी भी पदार्थ को अपने पास बुलाकर उसको लघु करके अपने हिसाब से उसमें परिवर्तन कर सकता है।
प्राप्ति सिद्धि ( Prapti Siddhi )
- साधक जिस भी किसी वस्तु की इच्छा करता है, वह असंभव होने पर भी उसे प्राप्त हो जाती है। जैसे रेगिस्तान में प्यासे को पानी प्राप्त हो सकता है या अमृत की चाह को भी पूरा कर पाने में वह सक्षम हो जाता है केवल इसी सिद्धि द्वारा ही वह असंभव को भी संभव कर सकता है ।
प्राकाम्य सिद्धि ( Prakamya Siddhi )
मनुष्य जिस वस्तु की इच्छा करता है उसे पाने में कामयाब रहता है, चाहे तो आसमान में उड़ सकता है और यदि चाहे तो पानी पर चल सकता है ।
ईशिता सिद्धि ( Ishta Siddhi )
- अपने आदेश के अनुसार किसी पर भी अधिकार जमा सकता है, वह चाहे राज्यों से लेकर साम्राज्य ही क्यों न हो । इस सिद्धि को पाने पर साधक ईश रुप में परिवर्तित हो जाता है ।
वशिता सिद्धि ( vashita siddhi )
जीवन और मृत्यु पर नियंत्रण पा लेने की क्षमता को वशिता सिद्वि कहा जाता है । इस सिद्धि के द्वारा जड़, चेतन, जीव-जन्तु, पदार्थ- प्रकृति, सभी को स्वयं के वश में किया जा सकता है । इस सिद्धि से संपन्न होने पर किसी भी प्राणी को अपने वश में किया जा सकता है.