Ahmad Shah Abdali urf Durwani ya शाह वलीउल्लाह देहलवी

👉 ग़द्दारी ख़ून में होती है।👈

*तालिबान ने 1998 में अफगान पर कब्जा किया था। वहां के विदेश मंत्री डॉ.अब्दुल्ला सपरिवार भारत आये । भारत ने उन्हें राजकीय अतिथि का दर्जा दिया। महारानी बाग में एक सरकारी बंगला भी रहने को दिया। उनकी 3 बेटियों को एम्स में विशेष कोटे के तहत MBBS में प्रवेश मिला। अब यही डॉ. अब्दुल्ला तालिबान के साथ हैं और अफगान में पाकिस्तान के राजदूत के साथ मीटिंग कर रहा है और कहता है कि भारत अफगान के मामले में दखल न दें। जबकि डॉ. अब्दुल्ला ने भी MBBS भारत से ही किया है। *

 तालिबानियों के पीछे जो पोट्रेट है वह अफगानिस्तान के शासक अहमद शाह अब्दाली की है जिसने बाद में अपना नाम अहमद शाह दुर्रानी कर दिया था।

आज जो हम सब यह सोच रहे हैं कि आखिर अफगानी सेना ने तालिबान से प्रतिकार क्यों नहीं किया उसका उत्तर इसी पेंटिंग में छुपा हुआ है।

Ahmad Shah Abdali urf Durwani ya शाह वलीउल्लाह देहलवी


शाह वलीउल्लाह देहलवी को भारत के मोमिन बेहद आदर से याद करते हैं। हर दीनी किताब में उसका जिक्र होता है हर एक मुस्लिम जलसे में शाह वालीउल्लाह देहलवी का जिक्र होता है उसकी शान  में कसीदे पढ़े जाते हैं। शाह वलीउल्लाह देहलवी के पिता औरंगजेब के दरबार  मे थे। उन्होंने देखा कि भारत में मुग़लों का शासन कमजोर हो रहा है औरंगजेब का निधन हो गया था और उसे लगा कि अब दिल्ली की गद्दी पर मराठे कब्जा कर लेंगे 

तब वलीउल्लाह अफगानिस्तान के दरिंदे सुल्तान अहमद शाह अब्दाली के पास गया और उन से निवेदन किया कि आप भारत पर हमला करिये और दिल्ली पर कब्जा करिए और 'काफिरों' का सफाया कर दीजिये, खून की नदियां बहा दीजिये !

पहले तो अहमद शाह अब्दाली झिझक रहा था लेकिन जब शाह वलीउल्लाह देहलवी ने उसे भरोसा दिया कि मैं भारत के दो लाख मोमिनों की फौज बनाकर आपके साथ लड़ूंगा... आप भारत पर हमला करिये और दिल्ली को मराठों से बचाइए। 

मराठे यह सोच रहे थे कि भारत के मोमिन उसका साथ देंगे क्योंकि भारतीय मोमिन कभी नहीं चाहेंगे कि कोई विदेशी दिल्ली की गद्दी पर बैठे।  मराठों को क्या पता था कि अब्दाली को कत्लेआम और लूटपाट के लिए भारत के ही मोमिनों ने बुलाया था। मराठे तब चौक गए जब उन्होंने देखा कि हज़ारों मोमिन सैनिक शाह वलीउल्लाह के नेतृत्व में अहमद शाह अब्दाली की सेना में जाकर मिल गए और फिर पानीपत की तीसरी लड़ाई हुई। दिल्ली पर अहमद शाह अब्दाली ने कब्जा किया। अहमद शाह अब्दाली ने लगभग एक लाख हिंदुओं को जिबह कर दिया.... उत्तर भारत में लाखों हिंदुओं का धर्मांतरण करवाया ! पंजाब और दिल्ली को श्मशान और भूतों का डेरा बना दिया।

अहमदशाह एक माह तक दिल्ली में ठहर कर लूटमार करता रहा। वहां की लूट में उसे करोड़ों की संपदा हाथ लगी थी। उसकी लूट का आलम यह था कि पंजाबी में एक कहावत मशहूर हो गई थी कि, खादा पीत्ता लाहे दा, रहंदा अहमद शाहे दा अर्थात जो खा लिया पी लिया और तन को लग गया वो ही अपना है, बाकी तो अहमद शाह लूट कर ले जाएगा

शाह वलीउल्लाह देहलवी के ऊपर भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने भी किताब लिखी है और मसीहा बताया है और यह लिखा है कि यदि यह नहीं होते तो दिल्ली पर हिन्दू राजा कब्जा कर लेते....

दरअसल वह राष्ट्र की अवधारणा में विश्वास नहीं करते ! उन्हें हर मोमिन अपना मेहबूब लगता है। भले ही वो विदेशी क्यो न हो गज़वा ऐसे ही जारी रहेगा...

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