Real Love Kya Hota Hai?

 -ईश्वर ये नहीं देखता  कि हम कितना काम करते  हैं । वह यह देखता  है कि उसे  हम कितने प्यार से याद करते हैं।

-जो चीज़ हमारे पास प्रचुरता में होती है उसका  हमारे लिये कोई महत्व नहीं होता । इस  संसार की  उत्पति ही प्यार से हुई है  ।  हर एक बच्चा  माँ बाप के प्यार से ही पैदा  होता   है । परंतु इस समय प्यार का महत्व नहीं   है  अर्थात प्यार न मिलने के  कारण संसार दुखों का घर  बन गया  है ।

-अनजाने में प्रेम भाव  को हम अनेकों भावों में दूषित कर बैठे हैं  ।

-जो आप से प्रेम करते हैं  उनके महत्व को समझो । वे आप के जीवन में है इसलिये आप का जीवन सुंदर है । उनकी प्रवाह करना सीखो ।

-अगर घर  में बहिनें व मातायें घर के सभी लडको वा भाईयो को प्यार करती है, पसंद करती है तो उनको सारे संसार के भाई  पसंद करेगें ।

-अगर घर  में सभी लड़के व भाई  घर की सभी लड़कियों व बहिनों, माताओं  को पसंद करते है तो सारे संसार की बहिनें उन्हे पसंद करेगी ।

-परिवार संसार की इकाई है । अब देखो परिवार में कैसे रहते  हैं  मजबूरी या खुशी खुशी । कोई सदस्य चाहे कैसा भी  हो हम उसे सदा  बेशर्त स्नेह करे तो वह भी  स्नेह में रहेंगे । वास्तव में घर  में जो परेशानियां  है उनका मूल कारण है लोग स्नेह चाहते है, जब उन्हे स्नेह नहीं मिलता है तो बुरे व्यवहार करते हैं  ताकि हम उन की तरफ़ ध्यान देवे । लोग बीमार पड़ जाते हैं ताकि उन्हे सभी मिलने आयें  ।

-हर मनुष्य  का अलग अलग स्वभाव होता  है । उसको उसी अनुसार स्वीकार करो । स्वयं से जुड़े हर रिश्तो  को अहम समझो, उन की कद्र  करो । हर व्यक्ति अपनी कद्र चाहता है । अगर उसकी कद्र नहीं होगी तो प्यार ख़त्म हो जायेगा और परेशानियां  खड़ी हो जायेंगी ।

-रफ  और टफ होने से प्रेम में दरार आती  है ।

-प्रेम में  विश्वास आवश्यक है । विश्वास विश्व की उच्चतम तरंग है । एक ऐसी  तरंग जो  बहुत शक्तिशाली है और असीम प्रेम का निर्माण करती है ।

निस्वार्थ प्रेम क्या होता है?

-हर कोई ऐसा जीवन साथी  वा सहयोगी चाहता  है जो सर्व गुण सम्पन्न हो ।

-अगर  उन्हे ज़रा  सी  भी  शंका  हो कि  जिन्हे वह चाहता  है, उसे कोई और भी  चाहता  है, चाहती  है तो वह अपराध तक कर देते है ।  ये निस्वार्थ प्रेम नहीं है । सभी अकेले  आये थे तथा  अकेले ही जायेगे । इसलिये हर एक स्वतंत्र है । सच्चा  स्नेह उन से मिलता है जो आप को चाह्ते  है ना कि  आप जिसको चाहते है । इसलिये देखो कि आप को कौन चाहता  है ।

-ये पति पत्नी, भाई  बहिन और मित्रों के रिश्ते   में भी  लागू होता है । यहां याद रखो हम सब ऐक्टर  है कोई किसी का गुलाम नहीं है ।

-पति चाहता  है कि पत्नी बिना अपनी  इच्छा बताये  उसकी सेवा  करे ।

- पत्नी चाहती है   कि पति उसकी सारी  ज़रूरते खुद  समझ कर पूरी  करे ।

-बहिन चाहती है  कि  भाई  उसकी हर बात मान  ले । भाई चाहता  है कि   बहिन उस की  हर बात में हां कहे ।  ये भी  निस्वार्थ प्रेम नहीं है ।

-  माँ  बाप बच्चो को जायदाद समझते है । 

-प्रेम के नाम पर अपने विचार  व निर्णय उन पर थोंपते है ।

- वे चाह्ते  है कि बेटा  बड़ा  हो कर पत्नी की  कम उनकी देखपाल ज्यादा  करे ।

-ये असली प्रेम नहीं है ।

- बच्चे नौकरी  आदि के लिये दूर  चले जायेगे तो उन्हे सम्भालेगा कौन । अपनी जरूरतों के  आगे बच्चो के  विकास को रोक देते है ।

-लड़की  पराया  धन है । इसलिये सिर्फ लडको  की  चाहत होती है और लड़की को   पल पल तिरस्कार मिलता है । 

-आत्मा शांत स्वरूप और प्रेम स्वरूप है और यही वह चाहती है । इसके इलावा कोई और स्वरूप आयेगा तो  वह विरोध करेगी, दुखी हो  जायेगी ।

What is Real Love?

सच्चा  प्रेम

-मै फलाने को  अपना बना कर रहूंगा, रहूंगी ऐसे रिश्ते बंधन बन जाते हैं । 

-यह  सोच  कि   हमरा  साथी  मेरी  पसंद के अनुसार उठे, बैठे,  खाये  व पिलाये  या लोगो से बोले, यह बंधन है, गुलामी है ।   इस से तनाव बढेगा ।

-सच्चे प्रेम में किसी को  बांध  कर रखने या किसी पर अधिकार जमाने   की जरूरत नहीं ।

-सौन्दर्य  की   बुनियाद पर  खड़ा  प्रेम,  सौंदर्य की ही तरह मर जाता है ।

-लोगो को प्रेम में  सबूत मांगने की  आदत  होती है ।

-ऐसी सोच के पीछे यह डर होता  है कि  अगर सामने वाले का प्रेम ख़त्म हो गया तो मेरा क्या होगा ।

-ऐसे लोग सबूत माँग माँग कर प्रेम को मार डालते हैं ।

- मनचाहा  खाना  नहीं मिला  या किसी मौके पर फूल न मिला तो सोचने लगते है, उनका  प्रेम कम हो  गया है ।

-माँ  अपने बेटे से  बेशर्त   प्यार करती है । जब बेटे की शादी हो जाती है तो वही माँ बेटे को बहू से बचाती  है  - कि  बहू बहुत बुरी है ।  वास्तव में माँ  चाहती है कि  बेटा बहू को ध्यान न  दे । केवल उसे ही ध्यान देता रहे ।

-प्रेम को कुरेदने की  वजह से ही शांति भंग हो जाती है ।

-इसलिये यह वाक्य न दोहराओ     क्या तुम मुझ से प्रेम करते हो ?  क्या तुम सही मानो में प्रेम करते हो  ?

-इस के वजाए यह कहो,  आई लव यू लाइक  यू  । 

- हर आत्मा प्रेम स्वरूप है । जैसे धरती का चुम्बकीय गुण है चीजो को अपनी तरफ़ खीचना । ऐसे  ही प्रेम का गुण भी  दूसरो को अपनी तरफ़ आकर्षित करना ही है । इसलिये सदा मन में हर  एक व्यक्ति के प्रति स्नेह का भाव  रखो । जिंदगी में सभी नियामते प्राप्त होती रहेगी ।

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