केदारनाथ मंदिर के बारे में जानिए


*प्रभु की लीला प्रभु ही जानें.!!!*
*मनुष्य अपने मानवीय विवेक से प्रभु की लीलाओं को सम्पूर्णता से नहीं समझ सकता।*

मनुष्यों की रक्षा जब देवाधिदेव महादेव करते हैं तो धर्म की रक्षा भी स्वयं वे ही करते हैं।🚩

तेरहवीं शताब्दी से सत्रहवीं शताब्दी के मध्य हिमालय क्षेत्र में आए अल्पकालिक हिमयुग में बाबा केदारनाथ मन्दिर चार सौ वर्षों तक हिम में ही दबा रहा। हिमयुग की समाप्ति होने पर विशेषज्ञ जब मन्दिर का निरीक्षण करने पहुँचे तो वे अचम्भित रह गए क्योंकि मन्दिर पूर्णतया क्षति रहित अपने भव्य स्वरूप में स्वस्थान पर सकुशल खड़ा था।
आज भी केदारनाथ मन्दिर के भीत पर उस हिमशैल के घर्षण के प्रमाण उपलब्ध हैं। हिमशैल सतत चलायमान होते हैं। न केवल वे चलायमान होते हैं अपितु उनके चलने से अत्यधिक भार के कारण भीषण दबाव भी उत्पन्न होता है। हिमशैल के संयुक्त होकर अनेक चट्टान भी चलते रहते हैं जो मार्ग में आई सभी वस्तुओं से रगड़ खाते हुए चलता है।

अब सोचिए कि जब मन्दिर चार शताब्दियों तक हिम से ढँका हो तो उस पर कितना दबाव और घर्षण पड़ा होगा.????

आज भी मन्दिर के भीत पर उन घर्षणों के चिह्न विद्यमान हैं।

ऐसा कहा जाता है कि बाबा केदारनाथ मन्दिर के पार्श्व में पाण्डवों ने एक मन्दिर का निर्माण करवाया था। किंतु समय के झंझावातों को नहीं सह पाने के कारण वह मन्दिर नष्ट हो गया।

बाबा केदारनाथ मन्दिर पाषाण चट्टानों को एक दूसरे के गूँथ कर (interloking system) से बनाया गया है। इस मन्दिर की दृढ़ता का यही महत्वपूर्ण कारण है।

मन्दिर के भीत बारह फीट मोटी पाषाण चट्टानों से निर्मित हैं। मन्दिर को छः फीट ऊँची समतल भूमि पर बनाया गया है। आश्चर्यजनक रूप से इसके छत को एक ही अखण्ड चट्टान से बनाया गया है।

समय के झंझावातों को झेलकर हिम में दब कर भी इस प्रकार सगर्व खड़ा और कोई दूसरा मन्दिर नहीं है।

यह हिम आच्छादित बाबा केदारनाथ मन्दिर का शीतकालीन अलौकिक दृश्य है।🌺🚩🌺

जय बाबा केदारनाथ🙏🙏🙏

वैभवशाली सनातन धरोहर...!!

जय सनातन धर्म🙏🚩🙏

जय महाकाल🔱🚩🔱
🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻

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