मां कबीर की साखी जैसी तुलसी की चौपाई सी - जगदीश व्योम
मां कबीर की साखी जैसी
तुलसी की चौपाई-सी
मां मीरा की पदावली-सी
मां है ललित रुबाई-सी
मां वेदों की मूल चेतना
मां गीता की वाणी-सी
मां त्रिपिटिक के सिद्ध सुत्त-सी
लोकोक्तर कल्याणी-सी
मां द्वारे की तुलसी जैसी
मां बरगद की छाया-सी
मां कविता की सहज वेदना
महाकाव्य की काया-सी
मां आषाढ़ की पहली वर्षा
सावन की पुरवाई-सी
मां बसन्त की सुरभि सरीखी
बगिया की अमराई-सी
मां यमुना की स्याम लहर-सी
रेवा की गहराई-सी
मां गंगा की निर्मल धारा
गोमुख की ऊँचाई-सी
मां ममता का मानसरोवर
हिमगिरि-सा विश्वास है
मां श्रृद्धा की आदि शक्ति-सी
कावा है कैलाश है
मां धरती की हरी दूब-सी
मां केशर की क्यारी है
पूरी सृष्टि निछावर जिस पर
मां की छवि ही न्यारी है
मां धरती के धैर्य सरीखी
मां ममता की खान है
मां की उपमा केवल है
मां सचमुच भगवान है।
Kavita 2
*हैप्पी मदर्स डे!* पर कविता
🙏🏿 *गिनती नही आती मेरी माँ को यारों,*
*मैं एक रोटी मांगता था,
वो हमेशा दो ही लेकर आती थी…..☺*
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*🙏🏿जन्नत का हर लम्हा….दीदार किया था*
*गोद मे उठाकर जब मॉ ने प्यार किया था*
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🙏🏿 *सब कह रहें हैं*
*आज माँ का दिन है*
*वो कौन सा दिन है..*
*जो मां के बिन है*
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🙏🏿 *सन्नाटा छा* गया *बटवारे* के *किस्से* में..
जब *माँ* ने पूछा *मैं* हूँ किसके *हिस्से* में.....!!!
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🙏🏿.... *घर की इस बार*
*मुकम्मल तलाशी लूंगा!*
*पता नहीं ग़म छुपाकर*
*हमारे मां बाप कहां रखते थे...?*😔
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🙏🏿 *एक अच्छी माँ हर किसी*
*के पास होती है लेकिन...*
*एक अच्छी औलाद हर*
*माँ के पास नहीं होती...*
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🙏🏿 *माँ से छोटा कोई शब्द हो तो बताओ*
*उससे बडा भी कोई हो तो भी बताना.....*
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🙏🏿 *मंजिल दूर और सफ़र बहुत है,*
*छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है….*
*मार डालती ये दुनिया कब की हमें,*
*लेकिन "माँ" की दुआओं में असर बहुत है….🙂*
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*🙏🏿माँ को देख,*
*मुस्कुरा😊 लिया करो..*
*क्या पता किस्मत में*
*हज़(तीरथ) लिखा ही ना हो*
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🙏🏿 *मौत के लिए बहुत रास्ते हैं पर*....
*जन्म लेने के लिए केवल*
*माँ* ✍.
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🙏🏿 *माँ के लिए क्या लिखूँ ? माँ ने खुद मुझे लिखा है* ✍🙏 😘
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🙏🏿 *दवा असर ना करें तो*
*नजर उतारती है*
*माँ है जनाब...*
*वो कहाँ हार मानती है*।
🙏🙏🙏🌹🙏🙏