असम में हिंदू पुजारियों को हर महीने दिए जाएंगे 15,000 रुपये, हिमंता बिस्वा सरमा का निर्णय
असम सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला करते हुए कोरोना काल में आर्थिक तंगी से परेशान लोगों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है।
अरविंद केजरीवाल के दिल्ली में मस्जिदों के इमामों का वेतन
◆ मौलाना की सैलरी दस हजार से बढ़ाकर 18000 रुपिया
◆ मुअज्जिन की सैलरी 9000 से बढ़ाकर 16 हजार रुपिया कर दी गई है।
◆ दूसरे सहायक की 6000 से 12000 हज़ार रुपिया कर दी गयी है।
दिल्ली में 1500 मस्जिद है। सालाना 69 करोड़ रुपिया/प्रति साल वेतन दिया जाता है।
◆ हिमन्ता सरकार ने मंदिरों के पुजारियों और असम में चलने वाले नामगृहों के संरक्षकों को ₹15,000 की आर्थिक मदद देने का निर्णय किया है।
◆ इसके अलावा प्राइवेट बस चालकों और उनके सहयोगियों को ₹10,000 की आर्थिक मदद देने का निर्णय किया है।
◆ यह फैसला इसलिए विशेष है क्योंकि भारत की अधिकांश राज्य सरकारें मौलानाओं और पादरियों को उदार आर्थिक मदद देती है किंतु हिंदू मंदिरों को सरकारी अनुदान नहीं मिल पाते हैं।
◆ असम सरकार ने हाल ही में गोलाघाट में स्थित अठखेलिया नामघर के विकास के लिए 5 करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। बता दें कि असम की लोक संस्कृति में भगवान कृष्ण की पूजा के लिए कई नाम घर बनाए गए हैं।
◆ इन नाम घरों में कृष्ण की उपासना मंत्रोचार के बजाए सीधे-साधे भजन कीर्तन के साथ होती है। हिंदू संस्कृति की भक्तिमार्गीय पूजा से जुड़े नामघर असम की लोक संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है।
◆ हिमन्ता सरकार ने अपने गठन के बाद से ही यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके शासन में हिंदुओं के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय नहीं होगा।
◆ हिमन्ता ने सरकार गठन के बाद ऐसे फैसले कर रही है जो सीधे तौर पर हिंदुओं के हितों और उनकी भावनाओं से जुड़े हुए हैं।
◆ हाल ही में राज्य सरकार ने हिंदू जनमानस की भावनाओं का ध्यान रखते हुए गौ संरक्षण विधेयक को असम विधानसभा से पारित किया है। इस विधेयक के अनुसार हिन्दू, सिख और जैन मंदिरों के पांच किलोमीटर के दायरे में बीफ की बिक्री नहीं हो सकेगी।
इसके पूर्व असम सरकार ने दर्रांग जिले के सिपाझार में गोरखुटि में मंदिर की 120 बीघा जमीन पर से अवैध कब्जे को हटाया था। हेमंता सरकार में असम में एक विशेष राजनीतिक परिवर्तन आया है। विकास तो भाजपा के राजनीतिक मेनिफेस्टो का हिस्सा पहले से था ही, लेकिन हिमन्ता बिस्वा शर्मा के कारण असमी संस्कृति वृहत्तर हिंदू संस्कृति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।