Love And Security

 -प्रेम और सुरक्षा 

-लक्ष्मण रेखा  के अन्दर इतनी शक्ति थी कि  कोई आसुरी शक्ति इसमे प्रवेश नहीं कर सकती थी । इस घेरे मे सीता  सुरक्षित थी ।

-क्या हमारे  लिये  आज ऐसा सुरक्षित घेरा  बन सकता है   ?

-हां हर मनुष्य अपने चारो तरफ़ एक  सुरक्षा चक्र  बना सकता है । जिस घेरे को कोई अस्त्र शस्त्र व दुनिया की  कोई ताकत नहीं तोड़ सकती । वह रेखा  है प्रेम की । अगर मनुष्य प्यार मे रहना सीख जाये तो उसके चारो तरफ़ ऐसा सुरक्षा चक्र बन जायेगा ।

-हर समय दूसरो के प्रति मन मे कुछ  अच्छा  अच्छा  सोचते रहो । दूसरो के बारे अच्छे  बोल बोलते रहो । किसी अच्छे  लक्ष्य या काम मे लगे रहो । सदा भगवान  को याद करते रहो तो आपके सिर के चारो तरफ़ सूक्ष्म प्रकाश का सुरक्षा चक्र बन जायेगा जिस से आप के मन मे चैन रहेगा । आप सब नेगेटीवीटीज से बचे रहेंगे ।

-जब हम दूसरो की मदद करते है तो लोग भी तुम्हारी मदद करने लगते है । जो दूसरो का उपचार करते है वह खुद ठीक हो जाते  है । जो दान देते है, कुदरत उन्हे भी किसी न  किसी रास्ते से बेशुमार दौलत देती है । सब का भला  सोचो आप का भी भला  होगा । यही सुरक्षा चक्र है ।

-गाली के बदले गाली देंगे तो आफत आ जायेगी ।

-हम हर समय या तो कर्म के बंधन मे फँस रहे है या कर्म बंधन रहित बन रहे है । 

-हर कर्म मे दूसरो का कल्याण और स्नेह का भाव  होगा तो आप कर्म के बंधन मे नहीं फंसेंगे । अगर आप के मन मे दूसरो के प्रति  अकल्याण की भावना  है तो आप कर्म के बंधन मे जकड़े जा रहे है ।

-क्षमा  अर्थात आप खुद को उन दोषों से मुक्त कर रहे है जिन्हे आप ने उठा  रखा  है ।

-क्षमा  नहीं करते तो हम दुर्भावनाओ के बोझ तले कसमसाते रहते है । दुर्भावनाये हमे चोट पहुँचाती  है । नीचे की ओर ले  जाती है । हमे कमजोर बनाती है । जीवन और सेहत को खींच लेती है ।

-हम सभी को लोगो ने कभी न कभी गहरी चोट पहुँचाई है । बाहर रखा  है । धोखा दिया  है, गलत किया है । क्षमा  मुक्ति का कार्य करती है । क्षमा  अर्थात हम अपने को अन्दर की कटुता से मुक्त कर रहे है । क्षमा  ऐसी जगह से आती है जहाँ प्रेम है ।  इस लिये ऐसे व्यक्तियों से जब वास्ता  पड़  जाये तो उनको सदा मन से  स्नेह की तरंगे दो ।

-छोटे  छोटे  अनादर, दगाबाजी या हताशाओं से विचलित होने से बचने के लिये ये समझो की वे लोग कितनी परेशानी मे हैं, तभी ऐसा किया, उनके प्रति मन मे दया दिखाओ । यह सोचो मै दयालु हूँ दयालु हूँ । इनका कल्याण  हो । यह भाव  सिर्फ मन मे रखना है । कर्म समझदारी से करो ।

-अतीत मे न अटके  रहो । वर्तमान पल मे जो सही संकल्प वा कर्म है वह करते रहो ।

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