Napasand Logo ke saath Kaisa Vayvahar Kaise Kare?

 व्यवहार और नापसंद  लोग 

-हम रोजाना  किसी न  किसी से मिलते हैं या किसी ना किसी  व्यक्ति के साथ रहते हैं । 

- कुछ लोग अपने किसी स्वार्थ के कारण हमारे  बहुत  नजदीक होते हैं । 

-हम उन से अपनी हर बात शेयर करते हैं । 

-हम उन पर विश्वास  करते हैं । 

-यही लोग विश्वास को धोखे में बदल देते हैं । तब हम ऐसे स्वार्थी लोगो  को  नापसंद करने लगते हैं । 

-इन लोगो को कैसे पहचाने । छोते  छोटे व्यवहारों से पता चलता है । उसके स्वभाव से पता चलता है  । सच्चा व्यक्ति आप का ख्याल रखेगा । जब आप बुलाए दौड़ा चला आएगा 

-जो केवल जरूरत के समय याद करे वह ठीक नहीं  है । किसी बात को गुप्त रखने को कहें परन्तु वह दूसरो को बता दे । 

-आप से चोरी छिपे आप के दोस्तो को आप की बाते बताए । जिन्हें हम से उनके  मतलब की चीज मिल जाए तो उनका व्यवहार हमारे प्रति बदल जाए । आप से कोई चीज प्यार से  मांगी  आप ने दे दी और उस ने जब वापिस   दी तो चीज की बुरी हालत  थी । 

-जिस के  मन में आप के प्रति सम्मान  का अभाव है । आप की बात में दिलचस्पी नहीं दर्शाते,  उन्हे आप की फिक्र नहीं होती है । उन्हे बता दे उसकी   नेचर पसंद नहीं है ।  उसके प्रति कल्याण का भाव रखो । थोडी दूरी बना लें । 

-जीवन में जन्म से मृत्यु तक हमें कईं  बार एडजस्टमेन्ट लेने पड़ते हैं।  हम सभी जीवन में कभी न कभी नापसंद परिस्थितियों में एडजस्ट हुए हैं। हम बारिश से कोई प्रश्न,बहस या उसका विरोध नहीं करते। छाता  ले कर उस से अडजस्ट करते हैं । 

- इसी तरह भले ही हमें पढ़ाई करना अच्छा लगता हो या नहीं हमें पढ़ाई के साथ एडजस्ट होना पड़ता है। 

-लेकिन जब नापसंद लोगों के साथ के व्यवहार की बात आती  है,तब न सिर्फ उससे प्रश्न,बहस या विरोध करते हैं,बल्कि उसके साथ झगड़ा कर बैठते हैं।

- ऐसा क्यों होता है?हमेशा बदलते रहने वाले संयोगों में क्लेश न हो,बल्कि शांति और खुशी रहें उसके लिए परम पिता परमात्मा को याद करते रहे आप प्यार  के सागर हैं ।  इस से आप में इतना बल पैदा होगा क़ि  सभी लोग आप से ठीक व्यवहार करेगे । 

-हम भगवान को याद न कर सकने की  मजबूरियां बताते हैं ।  इसी लिये लोग भी समय  पर  अपनी मजबूरियों बताते हैं । -सारी दुनिया भगवान के कहने पर चलती हैं ।  इसलिए भगवान को सदा याद करते रहो । 

-दुनिया अपने ढंग से चलती है  इसलिए अपने को दुनिया के हिसाब से ढालना  सीख लो ।  

- लोगो का  स्वार्थी स्वभाव होने का कारण उनकी जन्म जन्म की शारीरिक और मानसिक भूख है ।  यह स्वार्थ रूपी भूख भगवान की याद से खत्म होती है । इस लिये उन्हे राजयोग सिखाओ । 

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