Muslim aru Vaampanthi Samaj Ki Hakikat

 हमारे देश में वामपंथी समाज और मुस्लिम समाज दोनों ही एक बंद और जाहिल समाज है ...…

इन से भला क्या कहना? क्या सुनना? ये लोग घूम-घुमा कर अपने एजेंडे में ही घुटते हुए सांस लेते हुए जीते है और मरते है वैचारिक छुआछूत इनकी गंभीर समस्या है मुस्लिम समाज व वामपंथी समाज जितना कट्टरपंथी कोई और समाज नहीं है ...…

एक प्रतिशत भी फ्लेक्सिबिलिटी नहीं मिलती लचीलापन और उदारता से इनका पुराना बैर है नदी का मीठा पानी नहीं सागर का खारापन ही इनके हिस्से है ...…

इनकी सेलेक्टिव चुप्पी और सेलेक्टिव विरोध किसी सभ्य समाज के लिए कितना आत्मघाती है यह लोग यह भी नहीं जानते ...…

सोचिए कि पढ़े-लिखे जाहिल भी भारत माता की जय बोलना अपराध समझते है इसके अलावा भारत माता की जय बोलने वालों को अस्पृश्य समझते है ...…

इन जाहिल और जंपट लोगों को वंदेमातरम् ही नहीं जन गण मन गाने में भी अपराध दिखता है यह फासिस्ट और बीमार लोग है ...…

कृपया मुझे यह भी कहने दीजिए कि कोई दो प्रतिशत मुस्लिम और वामपंथी दोस्त खुली समझ के दिखते है लेकिन बहुमत की भेड़ चाल में फंस कर मन मसोस कर रह जाते है हाथ मलते हुए रह जाते है इनकी लाचारी भी साफ दिखती है !!!!!!!!!

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