तालिबान से रिश्तों को लेकर भारत न तो हड़बड़ी करेगा और न ही करनी चाहिए भारत के लिए अपने हित सर्वोपरि है कोई भी कदम उठाने से पहले देखना होगा कि आतंकवाद, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और विरोधियों को लेकर तालिबान की कथनी-करनी में अंतर तो नहीं।
-अखिलेश शर्मा@akhileshsharma1
गवर्नेस के मोर्चे पर आ रही मुश्किलों को देखते हुए तालिबान को महसूस होने लगा है कि आतंकी होना सरकार चलाने से कहीं आसान काम है।
-मिन्हाज मर्चेंट@MinhazMerchant
चीन अपने शिनजियांग प्रांत में तो मस्जिदे तोड़ता है मगर अफगानिस्तान में मस्जिद बनाएगा चीन के भीतर आतंक की मनाही है लेकिन उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह दूसरे देशों में पनपता रहे यही बात कोविड पर लागू होती है कि वह घरेलू स्तर पर न फैले लेकिन इसमें कोई समस्या नहीं कि वह दुनिया भर में कोहराम मचाए।
-तसलीमा नसरीन@taslimanasreen
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तालिबानी मैच―
खबर : अफगान क्रिकेट बोर्ड पर तालिबान का कब्जा घरेलु टी-20 का आयोजन करेंगे।
टिप्पणी : मौत का मैच खेलने वाले क्रिकेट मैच आयोजित करेंगे तो कहीं उसमें भी बैट की जगह बंदूक बॉल की जगह बम और स्टम्प की जगह स्टैनगन का उपयोग न करने लगें।
-महेंद्र सिंह गेहलोत, बेटमा, इंदौर
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अफगान शरणार्थियों को मदद देना आत्मघाती साबित न हो जाए―
ऐसी खबरें पढ़ने में आई है कि भारत सरकार ऐसे अफगान नागरिकों को शरण दे सकती है जो ई-वीसा के जरिए भारत आने का आवेदन देंगे इन खबरों को पढ़कर न जाने क्यों मन में एक आशंका घर कर गई ...…
पूरी दुनिया ने बीते करीब एक दशक में सीरिया व लेबनान आदि देशों से भागे लोगों को जर्मनी सहित अन्य यूरोपीय देशों ने शरणार्थी के रूप में शरण दी थी लेकिन शरण देने के कुछ ही महीनों बाद शरणार्थियों ने वहां उत्पात मचाना शुरू कर दिया ...…
उन देशों के मूल नागरिकों को मारा, उनकी कारें व संपत्ति छीन लीं और कई शहरों की शांति नष्ट कर दी उन सब घटनाओं को देखते हुए भारत सबक ले और शरणार्थी के रूप में अपने देश में समस्या को आमंत्रित न करें ...…
रोहिंग्या और बांग्लादेशी जबरदस्ती घुस आए घुसपैठियों से देश पहले ही परेशान है कहीं मानवता दिखाने के चक्कर में हम अपने घर में जहरीले सांप को न पाल बैठें !!!!!!!!!