कट्टर हिंदू और तालिबान में क्या अंतर है? हिंदू तालीबान क्या है?

 जब से अफगानिस्तान में तालिबान ने सत्ता पाई है तबसे तालिबान व उसका इस्लामिक शासन बहुत बदनाम हो गया है। अब उसको काउंटर करने के लिए सोफ्ट इसलामिक लोग हिंदुत्व को भी "हिंदू तालिबान" के नाम से बदनाम कर रहे हैं । उन्होंने एक नई परिभाषा गढ़ी है जिसे कहते हैं "हिंदू तालीबान"

जिसका अर्थ है कि कट्टर हिंदू भी एक तालिबान के समान ही है।

 आईए इस का विश्लेषण करें कि कट्टर हिंदू और तालिबान में क्या अंतर  है ❓

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तालिबान मतलब एक ऐसी विचारधारा जो केवल इसलाम का ही शासन चाहती है । शरिया के ही कानून मानती है । लेकिन हिंदुत्व एक ऐसी विचारधारा नहीं है । हिंदू एक सर्वसमावेशी विचारधारा है और हिंदुओं में विभिन्न पंथ और संप्रदायों के लोग रहते हैं।  इसमें किसी भी अलग विचारधारा या अलग पंथ के रहने वाले लोगों के साथ कोई भेदभाव नहीं है ।

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तालिबानी कहते हैं कि ऐसे खाना है,  ऐसे बैठना है और ऐसे ही पूजना है । परंतु हिंदुत्व में ऐसा नहीं होता है ।  यह तो पंथ का काम होता है अपने तरह का अपने विचारों को ही दूसरों पर थोपना और उसी तरह से लोगों को जीवन व्यतीत करने पर बाध्य करना । लेकिन हिंदू या सनातन एक धर्म है। हिंदू धर्म में अनेक संप्रदाय हैं । वह अपने अपने ढंग से रहते हैं और अपने अपने ढंग से अपने अपने भगवान को पूजते हैं व अपनी जीवनशैली को जीते हैं । हिंदू में ऐसे लोग भी हैं जो आर्य समाजी हैं जो मूर्ति पूजा को नहीं मानते हैं और ऐसे भी लोग हैं जो मूर्ति पूजा को मानते हैं, ऐसे भी लोग हैं जो प्रकृति या पेड़ों या सूर्य आदि प्राकृतिक चीजों को मानने वाले हैं । यहां पर स्वभाव से ही हम हजारों वर्षों से साथ में रहते आऐ हैं । इसलिए इस तालिबान को हिंदू स्वाभिमान से जोड़ना गलत है ।

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दूसरी बात है कि स्त्रियों के साथ व्यवहार।  जहां एक और तालिबान कहता है कि 12 से लेकर 45 वर्ष की जो भी बिना निकाह की हुई लड़कियां  हैं वह हमें सौंप दी जाऐं।  लेकिन हिंदुओं में ऐसा कभी भी आज तक ना हुआ है ना होगा।  दूसरे की कन्या को बिना ब्याहे कोई भी उसको अपना नहीं सकता । तालीबान एक लुटेरी मानसिकता का नाम है व इसका नाम से हिंदूओ को बदनाम करना, इसका नाम देना, इसको हिंदू तालिबान नाम देना मूर्खता है।😖🤬😡

तीसरी बात जो तालीबान कहता है कि केवल इसलाम एक ही धर्म होगा।   लेकिन हिंदू हिंदू ऐसा नहीं कहता।  वर्षों से हमारे साथ यहूदी, पारसी बिना किसी विरोध के रहते आए हैं । लेकिन जब से इसलाम व इसाईयत इस धरती पर आई है तब से ही आपस में धर्म पंथ को लेकर लड़ाई हुई है।

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चौथी व अंतिम बात जो यह जानबूझकर तालीबन से हिंदू राष्ट्र की बराबरी की जाती है इसका मतलब यही है कि लोग हिंदू राष्ट्र से भी  घृणा करने लगे।🙏

 क्योंकि सबको पता है कि हिंदुत्व और तालिबान बिल्कुल एक दूसरे के ऑपोजिट या विपरीत हैं।

 यदि तालिबान गजवा ए हिंद  है तो हिंदुत्व भगवा ए हिंद है।  और यह भगवा ए हिंद ही इस  गजवा ए हिंद से हमें बचा सकता है। हिंदुत्व जो है तालिबान का काट है । उसी को कमजोर करने के लिए  इसलाम  के सॉफ्ट विचारधारा ने हिंदू तालिबान शब्द गढ़ा है ताकि लोग कंफ्यूज हो जाए व कहे कि कट्टर हिंदूत्व भी कहीं तालिबान जैसा ना हो जाए।

यदि कट्टर हिंदुत्व हो गया तो तालिबान को  हमारे देश में जगह नहीं मिलेगी । हिंदू  मजबूत होगा तो तालीबानी विचारधारा के लिए कोई भी जगह नहीं रहेगी । यदि हिंदुत्व मजबूत होगा तो गायों, पशुओं पर दया की जाएगी। लड़कियों को उठाया नहीं जाएगा बल्कि वह पूजी जाएंगे । जैसा कि तालिबान कहता है कि पूरा काला बुर्का या लबादा पहनकर औरतों को रखना है तो  हिंदू राष्ट्र यदि बन गया तो ऐसी कोई भी शर्त स्त्रियों पर नहीं डाली जाएगी।

तालीबान व हिंदुत्व धुर विरोधी विचारधाराऐं हैं।

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