अधिक सामंजस्यपूर्ण समाज का सृजन करने में लिंग, वर्ग या आय से अधिक महत्वपूर्ण कारक होता है|
मनुष्य ईश्वर का सबसे सुंदर, सक्षम और बुद्धिमान प्राणी है। मनुष्य की इन विशेषताओं ने उन्हें अपने और अपने परिवेश में लगातार सुधार करने में सक्षम बनाया है। इस सुधार ने उन्हें हर गुजरते दिन के साथ विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद की है। आज समाज के स्वरूप में जो भी बदलाव हुए हुए है उनमे सबसे अधिक योगदान मनुष्यों का ही है। लेकिन अफसोस इस बात का है कि आत्म-विकास की उनकी अंतहीन इच्छा ने संयुक्त विकास के लिए खतरा पैदा कर दिया है जो मुख्य रूप से सामाजिक सद्भाव की कुंजी है।
समाज का निर्माण मनुष्यों के द्वारा होता है। विभिन्न वर्ग या आय मिलकर समाज का निर्माण नहीं करते है। विभिन्न मनुष्य मिलकर अवश्य समाज का निर्माण करते है। इस आधार पर समाज के निर्माण में जो महत्वपूर्ण कारक है वही कारक सामंजस्यपूर्ण समाज के सृजन करने में भी सबसे महत्वपूर्ण है। लिंग के अतिरिक्त अन्य सभी तत्वों का निर्माण समाज में रहने वाले मनुष्यों ने ही किया है। आय अर्थात धन, उच्च व् निम्न वर्ग, विभिन्न जाति, धर्म, भाषा इत्यादि का निर्माण कुछ मनुष्यों ने स्वयं को दूसरे मनुष्यों से श्रेष्ठ दिखलाने के लिए किया है। इसीलिए अधिक सामंजस्यपूर्ण समाज का सृजन करने में लिंग सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इसके अलावा, व्यक्तिगत और व्यावसायिक लक्ष्य हर व्यक्ति में भिन्न होते हैं। सामाजिक लक्ष्य कई मामलों में कई लोगों के लिए पीछे की सीट लेते हैं। लेकिन इस विविधीकरण को दीर्घकालिक विकास का मार्ग देने के लिए एकीकृत करने की आवश्यकता है। समाज को एकीकृत करने और सभी में सामंजस्य बिठाने के लिए सामाजिक वर्ग और आय बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है। परन्तु लिंग उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है। कई लोगो का मानना है कि यदि कोई स्त्री उच्च वर्ग में पैदा हुई है तो उसके पास अन्य वर्ग में पैदा हुए पुरुषो से अधिक अवसर होंगे। परन्तु ऐसा बिलकुल नही है। प्रत्येक वर्ग की स्त्रियों के पास अवसर एक जैसे ही होते है। जब किसी भी स्त्री के साथ छेड़-छाड़ होती है तो उससे पहले उस स्त्री का वर्ग और आय नहीं देखी जाती है। जब कोई स्त्री घर से बाहर जाकर समाज के लिए कोई भी कार्य करना चाहती है तो चाहे वो उच्च वर्ग या आय से ताल्लुक रखती हो या निम्न से, उसे यही कहा जाता है कि उसे कार्य करने की कोई आवश्यकता नहीं है या ये सभी कार्य करने के लिए हम नही है।
यदि समाज और घर-परिवार में पुरुष और स्त्रियों को समानता के अधिकार प्राप्त हो तो पुरुष स्त्री का सम्मान करता है और स्त्री पुरुष का सामान करती है। इससे समाज में भी प्रत्येक लिंग, प्रत्येक लिंग का सामान करेगा।
यदि समाज में आय और वर्ग सामान हो भी जाए और पुरुष व स्त्रियों में समानता न हो तो कभी भी सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण नहीं होगा।