वातावनासन की विधि और लाभ Vatayan Asan Horse Pose Steps, Benefits in Hindi, वातायन आसन

 वातावनासन : ध्रुवासन का एडवांस रूप पैरो की मजबूती के लिए जानिए इस आसन की विधि और अन्य फायदे

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वातायन आसन , वातावनासन की विधि और लाभ Vatayan Asan Horse Pose Steps, Benefits in Hindi

आज जानिए वातायनासन के बारे मे

भारत में वातायन नाम के एक महान योगी हूआ करते थे, वे अपनी तपस्या भी इसी आसन में करते थे, इसीलिये उनके नाम पर ही इस आसन का नाम रखा गया है । 

ये आसन तपस्वियों का आसन का बड़ा ही एडवांस स्वरूप है जिससे शरीर को स्थिरता के साथ साथ पृष्ठता का भी लाभ मिलता हैं

वातायनासन के लाभ

  • कमर और घुटनों का दर्द भी इस आसन को करने से दूर होता है।
  • वातायनासन आसन करने से मधुमेह की बीमारी दूर होती हैं 
  • मन को शांति और एकाग्रता के लिए ये आसन लाभ प्रद हैं
  • इस योग से हर्निया, सायटिका जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं।
  • शारीरिक संतुलन के लिए इस आसन का प्रयोग करना लाभदायक रहता हैं
  • गर्दन और पिंडलियां भी इस आसन को करने से पुष्ट हो जाती है।

वातायनासन करने की विधि

Step 1:  सबसे पहले समतल साफ और शांत स्थान पर आसन बिछाकर उसके ऊपर प्रणाम की मुद्रा में सीधे खड़े हो जावे

Step 2:  फिर नीचे झुकते हुए घुटनो के बल खड़े हो जाये

Step 3:  सावधानी और धीरे से दाया पाव मोड़ते हुए उसे बाए पाव की जांघ पर रख दे 

Step 4:  घुटने जमीन पर ही टिका कर रखे

Step 5:  फिर बाएं पाँव के घुटने को धीरे धीरे उठाते हुए पाँव के पंजे पर अपना संतुलन स्थापित करे

Step 6:  ध्यान देवे इस स्थिति में बाया पाँव मुड़ा हुआ पंजो के बल होता है पर दाया पाँव घुटनो के बल ही होगा

Step 7:  दोनों हाथों को प्रणाम की मुद्रा में अपने वक्ष स्थल से सटाये

Step 8:  इस प्रकार यह स्थिति में 2 से 5 मिनट बना कर रखे तत्पश्चात दूसरे पाँव से भी इसे दोहराए

यह आसन बैठ कर भी कर सकते है।

Step 1:   दोनों पैरों के घुटनों को आपस में मिला लें।

Step 2:  एड़िया, सिर का पिछला भाग और नितंब सीधा हो, अब अपने दाहिनी टांग को घुटने से मोड़ लें और इस टांग के पांव को बांई टांग के जंघा पर रख लें।

Step 3:  इसके बाद अपनी बाई टांग के घुटने को धीरे धीरे सामने की तरफ मोड़ लें और दाहिने घुटने को धीरे धीरे बाएं पैर की एड़ी के पास जमीन से सटा लें।

Step 4:  अब दोनों हाथों से नमस्कार की मुद्रा बना लें। इस आसन को करते समय श्वास को सामान गति में ही लेते रहें।

Step 5:  आप इस मुद्रा में जितनी बार रूक सकें, उतना आपके लिए फायदा होगा।

Step 6:  ठीक इसी तरह से दूसरे पैर से इस आसन को भी करें।

वातायन आसन में सावधानिया

नोसिखिये इस आसन को विशेषज्ञ की देख रेख में ही करे

जिन व्यक्तियों के पाँव में किसी भी प्रकार की सर्जरी हुई है वे इसे ना करे

उच्च ताप या शारीरिक मानसिक संताप होने पर आसन ना करे

महिलाएं और लड़कियां इस आसन को ना करें, यह उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

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