एक राजा के दो जुड़वाँ पुत्र थे। वे दोनों चेहरे मोहरे से, चाल ढाल से, शिक्षा दीक्षा से एक जैसे ही थे।
जब दोनों युवा हो गए, और राजा ने वानप्रस्थी होने का विचार किया, तब बड़ी समस्या हो गई कि राज्य दोनों में से किसे सौंपा जाए?
मंत्रियों की सलाह थी कि राज्य के दो बराबर हिस्से कर दिए जाएँ, और दोनों राजकुमारों को सौंप दिए जाएँ। पर राजा का मत था कि दो हिस्से करने से राज्य कमजोर पड़ जाएगा। और भविष्य में दोनों पुत्रों के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होने का भी भय है।
तब एक मंत्री ने एक युक्ति सुझाई। उन्होंने कहा- महाराज! दोनों राजकुमारों के बीच एक प्रतियोगिता रखनी चाहिए और जो जीते उसे राजा बनाया जाए।
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अपने भाग्य को कैसे जगाए?
राजा को यह सुझाव अच्छा लगा। योजना बनाई गई, और दोनों राजकुमारों को एक एक महल और बीस-बीस हजार स्वर्ण मुद्राएँ दी गईं। प्रतियोगिता यह थी कि इसी धन से उन्हें अपने महल को संपूर्ण रूप से भरना होगा।
एक राजकुमार ने विचार किया कि ऐसी कौन सी वस्तु है, जो इतने धन में मिल जाए कि महल पूरा भर जाए। उसने सोचा की भरना ही तो है, क्यों न कचरे से भर दिया जाए? कचरा मुफ्त में मिल जाएगा, केवल ढोने में ही धन खर्च होगा। उसने अपना महल कचरे से भरवा दिया।
दूसरे राजकुमार ने विचार किया कि यदि इसे प्रकाश से भर दिया जाए तो भी भरा हुआ माना जाएगा। उसने प्रकाश की व्यवस्था कर दी।
आप समझ ही गए होंगे कि दूसरे राजकुमार को राज्य मिल गया।
*श्री राम कथा क कहती है कि आप भी भगवान के राज्य के राजकुमार हैं। आपका मन एक महल ही है। आपको विचार करना चाहिए कि आपने अपने मन रूपी महल में क्या भरा है? आपके मन में जगत की वासनाओं का कचरा भरा है या ज्ञान प्रकाश?
यदि आपने अपने मन महल को ज्ञान प्रकाश से,आत्म प्रकाश से भर लिया,तो आपको भी पद मिल जाएगा, परमपद मिल जाएगा..!!
🙏🏽🙏🏻🙏🏾जय जय श्री राधे🙏🏿🙏🙏🏼