क्या आज के ज़माने में भी श्रवण कुमार जैसे बेटे होते है?

आजकल के ज़माने में ऐसा लगा है कि अब बेटे श्रवण कुमार जैसे नहीं होते है. आजकल के बेटों को तो सिर्फ और सिर्फ माँ बाप की जायदाद से मतलब होता है. मगर ऐसा बिलकुल नहीं है.  आइये एक कहानी पढ़ते है. 

मैं और मेरी पत्नी सुधा रोज सुबह सैर पर निकलते है... रास्ते में मंदिर पड़ता है...आज वहा से गुजरते हुए हमारी नज़र एक बुजुर्ग महिला पर पड़ी जो मंदिर के बाहर सीढियो पर सिकुड़ कर सो रही थी हमने भी औरो की तरह हाय बेचारी कहकर आह भरी  और  अपने रास्ते चल दिए....

क्या आज के ज़माने में भी श्रवण कुमार जैसे बेटे होते है?

कुछ देर बाद वापस आये तो उस महिला को घेरे दो चार लोग थे जो उसे उठाने की कोशिश करने लगे...

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सब की अलग-अलग टिप्पणी शुरू थी.....

"शायद बेटे बहु ने घर से बाहर निकाल दिया होगा....

"अभी आता हूं कहकर बेटा यहां मंदिर के पास छोड़ गया होगा.....

 ऐसे ही तो कर रहे है आजकल के श्रवण कुमार....

हम दोनो भी पास गये तो समझ आया वो महिला बेहोश थी हमने वहां मौजूद लोगों की सहायता से तुरंत उस महिला को आटो मे उठाकर बैठाया अौर नजदीक के अस्पताल ले गये....

 महिला को भर्ती करवाकर पुलिस को खबर कर दी...

थोड़ी देर मे पुलिस आ गई....

दूर से ही महिला को देखा अौर बाकी जानकारी हमसे ली की ये कहां मिली वगैरह वगैरह....  

फिर पुलिस ने किसी को फोन मिलाया...

कुछ देर बाद बदहवास सा एक व्यक्ति पुलिस के पास आकर हडबडाते हुए पूछने लगा...

 "कहां है मेरी मां....

कैसी है....

वो ठीक तो है ना....

 मुझे उसे देखना है....

पुलिस ने उसे शांत करवाया अौर हमारी अोर हाथ दिखाकर कहा "ये लोग आपकी मां को यहाँ लेकर आये है....

वो तुरंत आकर मेरे अौर मेरी पत्नी के सामने हाथ जोड़कर बार बार आभार व्यक्त करता रहा....

 हम कुछ समझ पाते उससे पहले डाक्टर ने आकर उस महिला के होश में आने की खबर दी...

वो बिना एक पल गवाये अपनी मां की तरफ भागा...

तभी इंस्पेक्टर साहब हमारे पास आकर बोले 

"बेचारा कल दोपहर से अपनी मां को ढूंढ रहा था... इसकी मां शहर में नयी है, शायद रास्ता भटक गई... रातभर अपनी मां को ढूंढ रहा था 20 बार तो पुलिस स्टेशन फोन करके पूछ लिया मेरी मां मिली क्या...

 इस व्यक्ति की छटपटाहट एक छोटे बच्चे जैसी थी जो अपनी मां से बिछड गया हो....

अब हम दोनों दूर से देखने लगे... 

वो व्यक्ति अपनी मां का हाथ पकड़कर रो रहा था अौर मां अपने बेटे के आंसू पोछते हुए पूछ रही थी "तूने कुछ खाया....

हम दूर से नज़ारा देख आँखों में आंसू...

होठों पर मुस्कान, मन में एक अलग सी संतुष्टि लिये घर लौट आये......

एक सुंदर रचना....

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