कष्ट देने वाले से ही सबसे जयादा प्यार क्यों करते है?

 क्या लोग प्रेम में सहन करते है?  कई बार जो व्यक्ति हमसे बुरा व्यवहार कर रहा होता है उससे ही हम सबसे जयादा प्यार क्यों करते है?  क्या ये प्यार है या हमारी कमजोरी?




प्रेम और सहन करना 

-कुछ  लोगो को गंदगी पसंद नहीं ।

-कुछ  बहते  खून को देख कर चकरा  जाते है ।

-कुछ  लोग भिखारियों को देख कर चिढ़ जाते  हैं  ।

-कई  लोग रोते बच्चो को नहीं देख सकते ।

-कुछ  लोगो ऊँची आवाज़ से घबराते हैं  ।

-कुछ  लोग गाड़ी के हॉर्न से डरते हैं  ।

-कुछ  लोग कुत्तों  का भौंकना  सहन  नहीं  कर पाते ।

-कुछ  लोग अपनी बुराई नहीं सुन सकते, अपने  प्यारे  मनुष्यों   की  बुराई नहीं सुन सकते, अपने प्यारे नेता  अपने मन पसंद हीरो की बुराई नहीं सुन सकते ।

-उपरोक्त और कुछ  नहीं, सिर्फ  दर्शाता  है कि  आप को स्नेह की जरूरत है । आप स्नेह से वंचित है । पर्याप्त स्नेह न  मिलने के यह  भी लक्षण   है । 

-आमतौर पर छोटे  बच्चे कभी नहीं डरते वह साँप से खेलने लगते है  कुत्ते का  कान पकड़ कर उस के ऊपर बैठ जाते है । गाय का पूँछ पकड़ लेते है ।  यह निर्भीकता उनमे कहाँ से आती है । वह सब के प्रति प्रेम की भावना  रखते है । 

- ऐसे अगर हम भी  प्रेम से मन को भरपूर कर ले तो सारा संसार अपना लगेगा और हम किसी भी  पक्ष विपक्ष में ना पड़  कर निर्भीक बनेंगे । हमे डर नहीं लगेगा । कईयों  को अनजाना भय लगता है । इसका कारण  भी  सूक्ष्म में स्नेह विरोधी कार्य है । इस के लिये हर समय एक संकल्प रिपीट करते रहो या एक स्वमान याद रखो कि मै स्नेही हूं स्नेही हूं । जो कोई व्यक्ति भी  याद आयें  उसे स्नेह  की  तरंगे देते रहो  या भगवान  के  एक गुण आप प्यार के सागर है  के स्वरूप को मन में रिपीट करते  रहो तथा  किसी व्यक्ति का व्यवहार मन में रिपीट नहीं करो । आप शक्तिशाली बन जायेगे ।

-जिन लोगो ने आप को कभी मारा, डांटा  या आप का काम नहीं किया वे लोग सबसे ज्यादा याद आते है । ये और कुछ  नहीं आप में कमजोरी आ गयी है और वह कमजोरी है स्नेह की शक्ति की  । ऐसे लोग भी  वास्तव में सूक्ष्म में स्नेह से वंचित है और लोगो की बद दुआयें लेते है और परेशान रहते है और गुस्से  में आ कर ऐसा व्यवहार करते है । वास्तव में वह भी  हमारे से प्यार चाहते हैं  ।  वह यह जता  रहे होते है कि  और लोग तो हमे प्यार नहीं करते आप तो करो आप पर  हमारा अधिकार है ।

-कमजोर को चोटें  याद रहती है । वीर घावों से नहीं घबराते । इसलिये स्नेह को  बढ़ाओ   ।

-बाबा आप प्यार के सागर है हर परिस्थिति में भगवान के इस गुण का सिमरण कड़ते रहने से आप सदा प्यार से भरपूर रहेंगे !

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