देयं दीनजनाय च वित्तम्' का अर्थ


*'देयं दीनजनाय च वित्तम्' के पालन से होगी दिवाली सार्थक―*

भारतवर्ष में एक दौर रहा है जब दीपावली मनाने में हर वर्ग, जाति और धर्म के व्यक्ति का अपनी क्षमतानुसार सामाजिक योगदान रहता था *...*…

*कुम्हार* दीपक, कलश और मूर्ति बनाते थे *सुतार* दीपक के लिए खूंटी और डिया, पिंजारे बत्ती के लिए कई प्रदान करते थे *पंडित* लक्ष्मी पूजन, जप, यज्ञ और अनुष्ठान हेतु घर आते *हमारे सम्मानित समुदाय* मेहतर, दमामी, मोची और रंगरेज आदि *अपनी जिम्मेदारी निभाकर दीपावली को प्रकाशमय बनाते थे ...*…

इस पर्व के पीछे छिपा भाव यही है *कि हम परस्पर सबका सहयोग कर उत्सव मनाते रहे* आदि शंकराचार्य ने भी अपने रचित श्लोक में एक पंक्ति कही है- *दे दीनजनाथ च वित्तम् ...*…

अर्थात दीन जनों की वित्तीय सहायता ही सच्चा आनंद है *हमारा प्रत्येक पर्व* प्रत्येक परम्परा भी यही सिखाती है *कि हम सबको साथ लेकर उत्सव मनाएं ll

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