नकरात्मकता को छोड़े और संस्कारों की डोर को मजबूत बनाये रखिये. नकारात्मकता हमारे जीवन बहुत ही गल्त प्रभाव डालती है. नकारात्मकता हावी होने पर इंसान के जीवन कि प्रगति रुक जाती है. मनुष्य हर समय अपने बीते हुए समय के बारे में ही सोचता रहता है. इससे वह आगे नहीं बढ़ पाता और उसकी तरक्की रुक जाती है.
नैतिकता के शिक्षक ने छात्रों से पूछा-
अगर आपके पास 86,400 रुपये है और कोई भी लुटेरा 10 रुपये छिनकर भाग जाए तो आप क्या करेंगे?
क्या आप उसके पीछे भागकर लुटे हुवे 10 रुपये वापस पाने की कोशिश करोगे? या आप अपने बचे हुवे 86,390 को हिफाज़त से लेकर अपने रास्ते पर चलते रहेंगे?
कक्षा के कमरे में बहुमत ने कहा कि हम 10 रुपये की तुच्छ राशि की अनदेखी करते हुए अपने बचे हुवे पैसा लेकर अपने रास्ते पर चलते रहेंगे।
शिक्षक ने कहा: "आप लोगों का सत्य और अवलोकन सही नहीं है। मैंने देखा है कि ज्यादातर लोग 10 रुपये वापस लेने की फ़िक्र में चोर का पीछा करते हैं और परिणाम के रूप में, उनके बचे हुए 86,390 रुपये भी हाथ से धो बैठते हैं।
शिक्षक को देखते हुए छात्र हैरान होकर पूछने लगे "सर, यह असंभव है, ऐसा कौन करता है?"
शिक्षक ने कहा! "ये 86,400 वास्तव में हमारे दिन के सेकंड में से एक हैं।
10 सेकंड की बात लेकर, या किसी भी 10 सेकंड की नाराज़गी और गुस्से में, हम बाकी के पुरे दिन को सोच,कुढ़न और जलने में गुज़ार देते हैं और हमारे बचे हुए 86,390 सेकंड भी नष्ट कर देते हैं।
नकारात्मक चीज़ों को अनदेखा करें। ऐसा न हो कि चन्द लम्हे का गुस्सा, नकारात्मकता आपसे आपके सारे दिन की ताज़गी और खूबसूरती छीनकर ले जाए
साथ ही प्रभु/ईश्वर/गुरु पर सम्पूर्ण विश्वास रखे-
भूख के कारण बच्चा रो रहा है,मां के हाथ में बोतल है फिर भी वह उसको दूध नहीं दे रही क्योंकि मां को पता है कि दूध की बोतल में दूध अभी गर्म है अभी देना ठीक नहीं होगा । यही हमारे जीवन में होता है हम अपने गुरु जी से मांगते हैं पर जब हमे नहीं मिलता तो हम निराश होते हैं हमारे गुरु जी को पता है कि कौन सी चीज हमें कब देनी है जिस तरह मां को पता है दूध अभी गर्म है अभी दूंगी तो मुंह जल जाएगा इसी तरह आप भी अपने गुरु पर विश्वास रखें वह आपकी हर ख्वाइश टाइम आने पर जरूर पूरी करेंगे।
संस्कारों की डोर को मजबूत बनाये रखिये,
सदैव प्रसन्न रहिये!!!
जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!!